राम रहीम के पैरोल पर रोक लगाने की मांग, जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने सरकार को भेजा नोटिस
हरियाणा सरकार द्वारा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की पैरोल पर रिहाई वाली जनहित याचिका सोमवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए आई। इस मामले में न्यायमूर्ति एजी मसीह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हरियाणा सरकार तथा अन्य को नोटिस जारी किया।
अधिवक्ता नवकिरण सिंह के माध्यम से लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि गुरमीत राम रहीम ने पैरोल की अपनी रियायत का दुरुपयोग किया और धारा 295-ए के तहत गंभीर अपराध किया, जो एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि उसने ऑनलाइन धार्मिक सभा आयोजित की थी और बठिंडा के पास अपने एक डेरे पर लाखों अनुयायी एकत्र किए थे। उनके प्रवचनों को लेकर जालंधर में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि पैरोल पर रिहाई अच्छे आचरण वाले कैदी अधिनियम की धारा 8 के अनुसार जनहित में नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट के पहले के एक फैसले का भी उल्लंघन है जिसमें यह कहा गया था कि जनहित भी मांग करता है कि जो आदतन अपराधी हैं और कानून व्यवस्था के लिए खतरा बनने की प्रवृत्ति रखते हैं, उन्हें पैरोल पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए।
बता दें कि गुरमीत राम रहीम दो महिलाओं के साथ दुष्कर्म के आरोप में रोहतक जेल में 20 साल की सजा काट रहे हैं। उन्हें 2020 के बाद से कई बार पैरोल दी गई है। उन्हें आखिरी बार 20 जनवरी 2023 को 40 दिन की पैरोल दी गई थी।
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