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Haryana: विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में रखी बात, कही ये बात

हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने अफ्रीकी देश घाना के शहर अकरा में आयोजित 66वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में अपनी बात रखी।

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Rahul Rana -- October 05th 2023 04:23 PM
Haryana: विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में रखी बात, कही ये बात

Haryana: विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में रखी बात, कही ये बात

चंडीगढ़:  हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने अफ्रीकी देश घाना के शहर अकरा में आयोजित 66वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने ‘ई-संसद, पारस्परिक विविधता और न्यायसंगत सार्वजनिक सहभागिता के लिए एक प्रभावी तंत्र’ और ‘शक्तियों के पृथक्करण पर लैटिमर हाउस सिद्धांतों के 20 वर्ष’ विषयों पर व्याख्यान दिए। सम्मेलन में सीपीए कार्यकारी समिति सीपीए के नौ क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटिश द्वीप एवं भूमध्य सागर, कनाडा, कैरेबियन-अमेरिका एवं अटलांटिक, भारत, प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र शामिल हैं। सम्मेलन 30 सितंबर को शुरू हुआ है और यह 6 अक्तूबर तक चलेगा। हरियाणा की ओर से विस उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा और सचिव राजेंद्र कुमार नांदल भी इस सम्मेलन में शामिल हुए।

सम्मेलन में भारतीय समयानुसार बुधवार रात विधान पालिका, कार्यपालिका और न्याय पालिका के बीच शक्तियों के बंटवारा निर्धारित करने वाले लैटिमर हाउस सिद्धांतों के क्रियान्यवन पर गहन चर्चा हुई। ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि शक्तियों के बंटवारे की जो अवधारणा वर्ष 2005 में राष्ट्रमंडल का हिस्सा बनी, भारत में उस पर 1950 से ही कार्य हो रहा है। ये सिद्धांत भारतीय संविधान के मूल में हैं। 


उन्होंने कहा कि भारत में तीनों अंगों में शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार है कि ये एक-दूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप किए बिना भी एक दूसरे के लिए पूरक की भूमिका निभाते हैं। भारतीय संविधान में स्वतंत्र न्यायपालिका की गारंटी सुनिश्चित करते हुए विधान पालिका, कार्य पालिका और न्याय पालिका के बीच शक्तियों का बंटवारा किया गया है। इसको स्पष्ट करने के लिए उन्होंने भारतीय संविधान के 8 अनुच्छेदों का भी जिक्र किया। अनुच्छेद 50 के अनुसार राज्य की लोक सेवाओं में न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक करने के लिए राज्य क़दम उठाएगा। 

अनुच्छेद 105 और 194 में कहा गया है कि सांसद और विधायक सत्र में जो कुछ भी बोलते हैं, उसके लिए अदालत उन्हें नहीं बुला सकती है। इसी प्रकार अनुच्छेद 121 और 211 में उल्लेख है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश के न्यायिक आचरण पर संसद और राज्य विधानमंडल में चर्चा  नहीं की जा सकती है। अनुच्छेद 122 और 212 के अनुसार संसद और विधानसभाओं की कार्यवाही की वैधता को किसी भी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है। अनुच्छेद 361 कहता है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने कार्यालय के अतीत के अभ्यास और कर्तव्यों के लिये किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।

ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि कोई भी न्यायपूर्ण व ईमानदार सरकार अपने सभी नागरिकों के लिए मौलिक मानवाधिकार सुनिश्चित करती है। इसमें जाति, रंग, पंथ या राजनीतिक विश्वास की परवाह किए बिना सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और अवसर उपलब्ध रहते हैं। भारत में ऐसा शत-प्रतिशत हो रहा है। इसीलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ-साथ आदर्श लोकतंत्र भी हैं।

हरियाणा विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि संसदीय संस्थानों के मूल कार्यों को सुदृढ़ करने के लिए ई-संसद सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करती है। सामाजिक-आर्थिक प्लेटफार्मों पर यह संसद के सदस्यों और सामान्य नागरिकों के बीच सेतु का भी काम करती है। यह हर स्तर पर संवाद को मजबूत करती है। इसके अलावा यह कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण में भी मदद करती है। सामाजिक समावेश में वृद्धि करती है, सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता लाती है और सरकारी खर्च को कम करती है। उन्होंने कहा कि गत 19 सितंबर 2023 को भारत के नए संसद भवन में सत्र की कार्यवाही का शुभारंभ हुआ।

यह भवन पूरी तरह से ई-संसद आधारित नवीनतम तकनीकों से सुसज्जित है। उन्होंने हरियाणा विधानसभा की ई-विधान प्रणाली पर भी विस्तार से जानकारी दी। कहा कि ई-विधान प्रणाली की शुरुआत के बाद से सदन से संबंधित सभी दस्तावेज माननीय सदस्यों को उनकी टेबल पर स्थापित टच स्क्रीन और मोबाइल एप के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाते हैं। भारत में नेवा परियोजना के क्रियान्वयन से देश के सभी विधानमंडल एक मंच पर आ गए हैं। यह पहल हमारे विधानमंडलों और नागरिकों को करीब लाने में अत्यंत कारगर साबित हुई है। इस पहल से विधेयकों, प्रश्नों-उत्तरों, सदन के पटल पर रखे गए कागज पत्रों तक नागरिकों की पहुंच आसान हो गई है। यह नागरिकों को न केवल लोकतंत्र के करीब लाएगी, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनकी सहभागिता भी बढ़ेगी। यह समग्र लोकतंत्र की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।

- PTC NEWS

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