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इंजीनियर नीरज शर्मा ने झज्जर में बनाना शुरू किए मिट्टी के बर्तन,कमा रहे मोटा मुनाफा, CM भी हैं इनके बर्तनों में बने खाने के मुरीद

पेशे से बी.टेक इंजीनियर नीरज शर्मा नौकरी छोड़ कर मिट्टी के पारंपरिक बर्तन ऑनलाइन बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

Written by  Rahul Rana -- June 08th 2023 01:55 PM -- Updated: June 08th 2023 03:07 PM
इंजीनियर नीरज शर्मा ने झज्जर में बनाना शुरू किए मिट्टी के बर्तन,कमा रहे मोटा मुनाफा, CM भी हैं इनके बर्तनों में बने खाने के मुरीद

इंजीनियर नीरज शर्मा ने झज्जर में बनाना शुरू किए मिट्टी के बर्तन,कमा रहे मोटा मुनाफा, CM भी हैं इनके बर्तनों में बने खाने के मुरीद

झज्जर : पेशे से बी.टेक इंजीनियर नीरज शर्मा नौकरी छोड़ कर मिट्टी के पारंपरिक बर्तन ऑनलाइन बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में बिगड़ते खानपन के शेड्यूल के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। अकसर देखा जाता है कि एलुमिनियम और लोहे के बर्तनों में खाना बनाने से उसके पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। लेकिन पारंपरिक तरीके से मिट्टी के बर्तनों में बनाए गए खाने के सभी पोषक तत्व ज्यों के त्यों बरकरार रहते हैं। लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर झज्जर के डावला गांव निवासी नीरज शर्मा ने नौकरी छोड़ कर पारंपरिक तरीके से मिट्टी के बर्तन बनाने शुरू कर दिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी नीरज द्वारा बनाए गए बर्तनों के मुरीद हैं।


मिट्टी, आप और मैं नाम से नीरज ने अपना व्यवसाय शुरू किया। जब नीरज को लगा कि मार्केट में केमिकल लगे हुए मिट्टी के बर्तन धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं या फिर डाई में सेट करके आधुनिक तरीके से मिट्टी में केमिकल डालकर बर्तन बनाए जा रहे हैं। जो लोगों के स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। तो उसने कैमिकल फ्री और बार बार इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के बर्तन बनाने की ठानी। नीरज शर्मा ने गांव के कुम्हारों होगी रोजगार दे रखा है। ताकि आम लोगों तक मिट्टी के केमिकल फ्री बर्तन पहुंचा सके।

प्लास्टिक की बोतल और नॉन स्टिक बर्तनों से होने वाले नुकसान के कारण मिट्टी के बने बर्तन कुक वेयर और बोतल जैसी चीजें आजकल खूब प्रचलन में है। हम सभी इसे सेहत के लिए फायदेमंद मानकर खरीदते हैं। लेकिन यह मिट्टी के बर्तन आपके नॉर्मल प्रोडक्ट से भी ज्यादा खतरनाक है। जी हां बाजार में मिट्टी के बर्तनों की मांग इतनी बढ़ रही है। इसे बनाने का बिजनेस भी उतना तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन देश की ज्यादातर जगहों में बंद रहे मिट्टी के बर्तनों को कोई कुम्हार नहीं बल्कि मशीनें तैयार कर रही हैं। डाई मोल्ड और केमिकल कोटिंग के साथ काफी फैंसी मिट्टी के बर्तन तैयार किए जाते हैं। जो लोगों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। लोगों को इस नुकसान से बचाने के लिए झज्जर के डावला गांव के रहने वाले नीरज शर्मा ने मिट्टी, आप और मैं नाम से बिजनेस शुरू किया है।

नीरज शर्मा वैसे तो एक बीटेक इंजीनियर है। लेकिन पिछले 3 सालों से वह अपने गांव में रहकर ही काम कर रहे हैं। वह केमिकल और डाई मोल्ड के बिना पारंपरिक चाक किधर गया बर्तन बनाते हैं  जिस बर्तन में खाना बनाने से मिट्टी के करीब 18 पोषक तत्व खाने के अंदर खुल जाते हैं और हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों से हमें बचाते हैं। नीरज शर्मा का कहना है कि आमतौर पर मिट्टी के बर्तन जल्दी टूट जाते हैं, लेकिन अगर कारीगर सही हो और सही ढंग से इसे बनाया जाए तो यह लंबे समय तक चलते हैं और बार बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

नीरज शर्मा ऑनलाइन इन बर्तनों को बेचते हैं। उन्होंने बताया कि झज्जर की झज्जरी के नाम से मशहूर सुराही, मटके, पतीले, मटकी, बोतल, जग, कप, प्लेट, ढक्कन आदि कई तरह के बर्तन यहां बनाए जाते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी नीरज शर्मा द्वारा बनाए गए इन बर्तनों के मुरीद है। पिछले दिनों नीरज शर्मा द्वारा बनाए गए बर्तनों में पके और परोसे खाने का प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी खूब आनंद लिया था और खूब सराहना भी को थी। झज्जर के नीरज शर्मा युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। 

- PTC NEWS

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