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अरावली में मिली हजारों साल पुरानी गुफाएं, पुरातत्व के छात्र ने और भी बहुत कुछ खोज डाला

Written by  Arvind Kumar -- July 17th 2021 10:18 AM
अरावली में मिली हजारों साल पुरानी गुफाएं, पुरातत्व के छात्र ने और भी बहुत कुछ खोज डाला

अरावली में मिली हजारों साल पुरानी गुफाएं, पुरातत्व के छात्र ने और भी बहुत कुछ खोज डाला

फरीदाबाद। (सुधीर शर्मा) अरावली की पहाड़ियों में 2 लाख साल या उससे भी पहले से मानव रहा करते थे। ऐसा दावा किया है फरीदाबाद के एक युवक ने जो पुरातत्व में पीएचडी कर रहे हैं । अब इस मामले में हरियाणा के पुरातत्व संग्रहालय निदेशालय ने इस मामले में और अधिक गहराई से जांच करने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया है। दरअसल फरीदाबाद के रहने वाले छात्र शैलेश बैंसला ने अरावली के अंदर दो साल तक रिसर्च कर मानव जाति के कुछ ऐसे चिन्हों को खोज निकाला है जिससे साबित होता है कि अरावली के अंदर 2 लाख साल पहले भी मनुष्य रहते थे। और वह पहाड़ के पत्थरों पर शैल आर्ट बनाते थे। शैलेश ने बताया कि अरावली क्षेत्र के अंदर पड़ने वाले कोट गांव के अंदर तो पाषाण काल के कुछ चिन्ह मिले हैं। जिनका प्रयोग मनुष्य उस समय किया करते थे। फरीदाबाद के अचीवर्स सोसाइटी में रहने वाले शैलेश बैंसला ने बताया कि उन्होंने दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट से पुरातत्व में मास्टर की पढ़ाई पूरी की है। इस दौरान उन्होंने एक थीसीस बनानी थी। गुर्जर समुदाय पर वह रिसर्च करने के लिए अरावली के कोट गांव में जाते थे। वहां पर जब वह शोध कर ही रहे थे कि उन्हें जंगलों में कुछ अजीब तरह की चीजें मिली। उस समय वहां पत्थर की कुल्हाड़ी मिली जो लगभग 2 लाख साल पुरानी थी। इसका प्रयोग उस जमाने में जानवरों का शिकार करने और उनकी खाल उतारने के लिए करते थे। पुरातत्व की पढ़ाई में अगर इस तरह की चीजें मिल जाए तो काफी रोचक हो जाता है। यही सोच कर उन्होंने साल 2019 में एक रिसर्च की जिसमें वह कोट गांव में गए और उस गांव के 10 किलोमीटर के दायरे में बनी चीजों को देखा। उन्होंने कहा कि कोट गांव की पहाड़ियों पर शैल आर्ट भी दिखाई दी जो उस समय मानव जाति दीवारों पर कुरेद कर कुछ चित्र बनाया करते थे। इसमें हाथ के निशान, पैर के निशान के अलावा अलग अलग चित्र बने थे। वहीं फिर ये मांगर गांव में भी गए जहां पर रॉक शेल्टर यानी कि हजारों साल पुरानी गुफाएं जिसका प्रयोग लोग रहने के लिए किया करते थे। उन्होंने बताया कि जहां पर इस तरह की चीजें मिलती है उसके 10 किलोमीटर के दायरे में ही सभी चीजें मिल जाती है। इसलिए दो साल तक 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले हर एक चीज को देखा जिसमें ये सब चीजें दिखाई दी। उन्होंने इसका एक पूरा दस्तावेज बना कर पुरातत्व व संग्रहालय निदेशालय को भी दिया है। यह भी पढ़ें- लद्दाख में सभी को लग गई कोरोना वैक्सीन की पहली डोज यह भी पढ़ें- बेरोजगारी के मुद्दे पर सीएम खट्टर ने हुड्डा पर किया पलटवार शैलेश ने बताया कि पाषाण काल 50 हजार साल पुरानी है। जिसमें लोग अलग अलग तरह से रहते थे। वैसे भी अरावली पर्वत श्रृंखला करीब 35 लाख साल पुरानी बताई जाती है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि ये देश की सबसे पुरानी रेंज है। अगर इस रेंज में इस तरह से मानव जाति से जुड़ी कुछ चीजें मिली हैं तो इसे सहेजने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसमें पुरापाषाण काल तक की चीजें मिलने की उम्मीद है। अब पुरातत्व विभाग की टीम ने एक कमेटी बनाई है जो शोध शुरू करेगी। साथ ही इस कमेटी में शैलेश बैंसला को भी शामिल किया गया है। जिनसे हमें मदद मिलेगी। अरावली के लिए काम करने वाले पर्यावरणविद संजय ने बताया कि अरावली पर शोध होना चाहिए और पूरी अरावली श्रंखला केा बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले अरावली में जबरदस्त खनन हुआ और वह अभी भी अवैध रूप से जारी है। इसके अलावा लगातार यहाँ निर्माण कर इसे खत्म किया जा रहा है। इस को रोका जाना चाहिए ताकि इस रावली को बचाया जा सके और दिल्ली के समीप इस तरह की चीजें मिलना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।


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