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कैसे होगा सबका साथ...सबका विकास! पिछले एक साल में भारत में घटी गरीबों की ओसत आय

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- December 22nd 2021 02:55 PM -- Updated: December 22nd 2021 03:04 PM
कैसे होगा सबका साथ...सबका विकास! पिछले एक साल में भारत में घटी गरीबों की ओसत आय

कैसे होगा सबका साथ...सबका विकास! पिछले एक साल में भारत में घटी गरीबों की ओसत आय

World Inequality Report 2022: आर्थिक असमानता (Inequality) की बात विश्व के हर कोने में होती है। अमीरी और गरीबी के बीच की खाई सदियों पुरानी समस्या है। इस समस्या के चलते इतिहास ने सत्ता से लेकर व्यवस्था तक में कई बार बदलाव देखा है। इस अंतर को कम करने की बातें हर मंच पर होती हैं, लेकिन ये खाई कम होने की वजाय बढ़ती जा रही है। भारत सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है, लेकिन अभी ये हकीकत से परे है। भारत में एक दिन में 150 रुपये भी नहीं कमा पाने वाले (क्रय शक्ति पर आधारित आय) लोगों की संख्या पिछले एक साल में बेतहाशा बढ़ी है। ऐसे लोगों की संख्या एक साल में ही छह करोड़ बढ़ गई है, जिससे गरीबों की कुल संख्या अब 13.4 करोड़ पर पहुंच गई है। हाल के कुछ साल में खासकर कोरोना महामारी के बाद यह खाई और गहरी हो गई है। इसी महीने आई एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में यह असमानता अधिक है। भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल है, जहां अमीरों और गरीबों के बीच असमानता सबसे अधिक है। कई अर्थशास्त्री इसे भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं (Emerging Economies) के ग्रोथ की राह में बड़ा रोड़ा मानते हैं। [caption id="attachment_560673" align="alignnone" width="300"]World Inequality Lab World Inequality Report india, Inequality, वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2022 पेरिस स्थित वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब, आर्थिक असमानता कॉन्सेप्ट इमेज[/caption] पेरिस स्थित वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब ने इस महीने वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2022 (World Inequality Report 2022) जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के टॉप 10 फीसदी अमीर लोगों ने 2021 में 11,65,520 रुपये की औसत कमाई की। दूसरी ओर 50 फीसदी गरीब आबादी को देखें तो इस क्लास में लोगों की औसत आय इस साल महज 53,610 रुपये रही। यह 20 गुना से भी अधिक चौड़ी खाई है। यहां तक कि 50 फीसदी गरीब लोगों की आय 2021 के राष्ट्रीय औसत 2,04,200 रुपये से भी कई गुना कम है। [caption id="attachment_560674" align="alignnone" width="300"]World Inequality Lab World Inequality Report india, Inequality, वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2022 पेरिस स्थित वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब, आर्थिक असमानता कॉन्सेप्ट इमेज[/caption] अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस तरह की बढ़ती इनइक्वलिटी आर्थिक अवरोध के साथ ही सामाजिक अस्थिरता के जोखिम को भी बढ़ावा देती है। शोध के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आय की असमानता का जीडीपी की वृद्धि दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह असर कम विकसित अर्थव्यवस्था में विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक होता है। [caption id="attachment_560675" align="alignnone" width="300"]World Inequality Lab World Inequality Report india, Inequality, वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2022 पेरिस स्थित वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब, आर्थिक असमानता फाइल[/caption] आर्थिक असमानता श्रम के एक बड़े हिस्से की उत्पादकता को सीमित कर देती है, जिससे आर्थिक विकास के साथ मानवीय विकास के लक्ष्यों पूरी तरह हासिल कर पाना मुश्किल हो जाता है ।भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए अभी के हालात में असामनता से उत्पन्न आर्थिक अवरोध से बुरा कुछ और नहीं हो सकता है।


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