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लगान ना देने पर अंग्रेजों ने इस गांव पर कर दिया था हमला, दो बार ब्रिटिश सेना को चखाया था हार का स्वाद

Written by  Vinod Kumar -- August 14th 2022 02:58 PM -- Updated: August 15th 2022 01:23 PM
लगान ना देने पर अंग्रेजों ने इस गांव पर कर दिया था हमला, दो बार ब्रिटिश सेना को चखाया था हार का स्वाद

लगान ना देने पर अंग्रेजों ने इस गांव पर कर दिया था हमला, दो बार ब्रिटिश सेना को चखाया था हार का स्वाद

करनाल/डिंपल चौधरी:

भारत अपने 75वें स्वतंत्रता दिवास को मना रहा है। इस आजादी को हासिल करने के लिए लाखो लोगों ने कुर्बानियां दी। भारत को अंग्रेजों के शासन से मुक्त करवाने के लिए कई लोग वीरगति को प्राप्त हुए। अंग्रेजी हकूमत की यातनाएं सही तब जाकर भारत आजाद हुआ। आज हम उस गांव की कहानी आपको बताएंगे, जिसने अंग्रेजी हकूमत के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया था। ये वो गांव है जो हमेशा से अपनी बहादुरी को लेकर जाना गया है। ये गांव है करनाल का गांव बल्ला। बात सन 1857 की है जब गांव के चौधरी रामलाल मान, भूप सिंह मान, सुल्तान सिंह मान, लाल सिंह मान, फतेह सिंह मान और पंडित रामलाल के नेतृत्व में अंग्रेजों को लगान देने से इनकार कर दिया था।


देहातियों के लिए लगान की दरें न केवल ज्यादा थीं, बल्कि आसपास के गांवों की तुलना में दोगुनी थीं। जब लगान नहीं मिला तो, अंग्रेज अधिकारियों ने गांव पर हमला करने की योजना बनाई और अलग-अलग राजाओं से इस हमले के लिए मदद मांगी थी। गांव के लोग बताते हैं कि हमारा गाव सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत था। गांव के अंदर आने के लिए चार गेट थे। मुनक उर्फ ​​होलीवाला गेट, पाढ़ा गेट, गोली गेट और मठ गेट ये वो चार गेट थे। गांव 5 फुट चौड़ी माटी की एक ऐसी दीवार के अंदर बसा हुआ था, जिसके नीचे खाई खुदी हुई थी। गांव के बगल में उत्तर से दक्षिण की ओर एक कच्ची नहर बहती थी जिसे पुरानी नदी कहा जाता था। काफी हद तक पक्की ईंटों से बना यह गांव जमीन से कुछ उंचाई पर बसा हुआ था और चारों तरफ से एक चौड़ी दीवार और खाई से घिरा हुआ था।


ग्रामीणों का कहना कि जब अंग्रेजों ने हमारे गांव पर दुगना लगान लगा दिया तो गांव के बड़े बजुर्गों ने इसका विरोध किया क्योंकि उस समय में किसानों के लिए लगान देना मुश्किल था। फसल कई बार खराब हो जाती थी और हमेशा किसी ना किसी बात के चलते अंग्रेजी हकूमत के फैसलो के ख़िलाफ़ ग्रामीण विरोध करते रहते थे। लगान ना देने पर 1857 में अंग्रेजी सेना की टुकड़ी ने गांव पर हमला कर दिया। ऊंची जगह पर बैठे ग्रामीणों ने भी सेना पर हमला कर दिया और वहीं से गोलीबारी शुरू हुई, जिसके बाद अंग्रेजी सेना को पीछे हटना पड़ा और ऐसे करते करते तीन बार अंग्रेजी सेना को दो बार ग्रामीणों ने हराया और आखिर में अंग्रेजी हकूमत ने और अधिक फौजी पलटनें मंगवाकर गांव के ग्रामीणों पर फिर हमला किया और गांव को आग लगाकर विरोध करने वालों का मार दिया।


ग्रामीण यह भी बताते है कि इस गांव पर अंग्रेजो ने कई तोप के गोले छोड़ो थे, लेकिन अंग्रेजी सेना में गांव का ही एक सिपाही भी था। उसने उन गोलों को उस तरफ फायर किया जहां बिल्कुल आबादी नही थीं। आज गांव की आबादी 30 हजार से ज्यादा है। गांव पहले से काफी बदल चुका है, लेकिन यहां के बच्चे बच्चे को अपना इतिहास याद है। आज भी पुरानी गलिया गांव मे मौजूद हैं। पुरानी हवेली और ऊंचाई पर बसा वो पुराना गांव आज भी कुछ हद तक बचा हुआ है। हालांकि वो पुराने गेट नही रहे हैं, लेकिन गांव वालों को अपने शहीदों पर मान है। ग्रामीण बताते हैं कि दानवीर राजा बलि के नाम से इस गाँव का नाम बल्ला पड़ा है। उत्तर प्रदेश और पंजाब से आए लोगों ने इस गांव को बसाया था।


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