गाजियाबाद। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से पूर्व में घोषित कार्यक्रम के मुताबिक दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसान सभी मोर्चों पर रविवार को होलिका दहन करेंगे। होलिका दहन में भारत सरकार के तीनों नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी। यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत खुद इन बिलों की प्रतियां जलाएंगे।
आज तीन नए कृषि कानून की प्रतियां जलाएंगे किसान, देशभर में होगा विरोध प्रदर्शन
राकेश टिकैत ने किसानों से आह्वान किया है कि रविवार शाम होलिका दहन के अवसर पर वह जहां भी हों, वहीं कानून की प्रतियां जलाकर सरकार को यह संदेश देने का काम करें कि काले कृषि कानून हमें मंजूर नही हैं। सोमवार को किसानों ने रंगों से होली नहीं खेलने का निर्णय लिया है। किसान उस दिन मिट्टी से एक-दूसरे का तिलक करेंगे। किसानों ने यह फैसला आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए लिया है।
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आज तीन नए कृषि कानून की प्रतियां जलाएंगे किसान, देशभर में होगा विरोध प्रदर्शन
चार माह से नए कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर आंदोलन कर रहे किसान होली भी यहीं मनाएंगे। होलिका दहन के लिए बुलंदशहर जनपद के भटौना गांव की टीम गाजीपुर बार्डर पहुंचेगी। हालांकि किसान रंग या गुलाल से होली नहीं खेलेंगे बल्कि मिट्टी से एक-दूसरे का टीका करेंगे। किसानों का कहना है कि तीनों कृषि कानून वापस नहीं हुए तो उनकी अगली दीवाली भी यूपी गेट बॉर्डर पर ही मनेगी। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने किसानों से अपील की है कि गांवों में होने वाली होलिका दहन में वह कृषि कानूनों की प्रतियां जलाएं।
आज तीन नए कृषि कानून की प्रतियां जलाएंगे किसान, देशभर में होगा विरोध प्रदर्शन
यूपी गेट बॉर्डर पर लगातार किसानों का आंदोलन जारी है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रेस प्रभारी शमशेर राणा ने बताया राकेश टिकैत कृषि कानूनों की प्रतियों को होली दहन में जलाकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। उन्होंने बताया कि होली पर रंग-गुलाल का प्रयोग नहीं होगा बल्कि मिट्टी से तिलक लगाया जाएगा क्योंकि इस आंदोलन में करीब 300 किसान शहीद हुए हैं। उनके परिवार इस बार होली नहीं खेलेंगे। इन परिस्थितियों में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान भी उनके दुख दर्द में साथ रहेंगे। किसानों का कहना है कि यदि तीनों बिल वापस नहीं लिए जाते हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीददारी को कानूनी दायरे में नहीं लाया जाता है तो हम दिवाली भी यहीं पर मनायेंगे।