हरियाणा: यह काम करने के लिए मिलेगी 60 फीसदी की सब्सिडी

By  Arvind Kumar July 22nd 2020 05:20 PM

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सामान्य वर्ग के व्यक्तियों को 40 प्रतिशत तथा महिला और अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्तियों को 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। मत्स्य पालन में आई नई व आधुनिक तकनीक रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) से 30 से 35 टन मछली की पैदावार करके बेहतर आय अर्जित की जा सकती है। इसलिए बेरोजगार युवा अब मत्स्य पालन व्यवसाय अपनाकर बेहतर आजीविका कमा सकते हैं।

विभाग के एक प्रवक्ता ने मत्स्य पालन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए किसी भी तरह की योग्यता की आवश्यकता नहीं है। व्यवसाय शुरू करने वाले व्यक्ति के पास केवल एक एकड़ भूमि होनी चाहिए। खुद की जमीन या पट्टे पर ली हुई जमीन पर भी व्यवसाय की शुरुआत की जा सकती है।

Haryana 60 percent subsidy will be given for this work

उन्होंने बताया कि एक एकड़ भूमि पर मछली उत्पादन के लिए एक विशेष तालाब का निर्माण करना होता है। इसके बाद निर्माण लागत राशि की भरपाई सब्सिडी के तौर पर डीबीटी के माध्यम से सीधी लाभार्थी के बैंक खाते में कर दी जाती है। उन्होंने रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पहले मछली की खेती पोंड टेक्निक यानि तालाब में की जाती थी, जिसमें लगभग 5 से 7 टन मछली की पैदावार होती थी। लेकिन अब एक निर्धारित भूमि के ऊपर टैंक बनाकर रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) के माध्यम से यह खेती 5-7 टन से बढकऱ 30 से 35 टन हो जाएगी। इससे मत्स्य पालक का मुनाफा भी कई गुना तक बढ़ जाएगा।

उन्होंने बताया कि यह खेती मीठे और खारे पानी, दोनों में की जा सकती है। मीठे पानी में मुख्यत: रोहू, केटला, मिरगल, कॉमन कार्प, ग्रास कार्प व इंडियन मेजर कार्प किस्म की मछलियों की खेती की जाती है। इसी प्रकार, खारे पानी में सफेद झींगा की खेती कर सकते हैं। झींगा मछली बाजार में लगभग 300 से 350 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है। प्रति हेक्टेयर जमीन में लगभग 30 टन मत्स्य पालन किया जा सकता है, जो एक अच्छे मुनाफे का व्यवसाय हो सकता है।

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प्रवक्ता ने बताया कि वर्तमान समय में मत्स्य उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। ऐसे में अधिक से अधिक युवाओं को मछली पालन व्यवसाय के बारे में जानकारी हो, इसके लिए विभाग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं ताकि युवाओं को इस व्यवसाय की बारीकियों के बारे में पता चल सके।

---PTC NEWS---

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