फरीदाबाद की सबसे पुरानी रामलीला कमेटी की धर्मशाला-दुकानें ध्वस्त, देश के पहले राष्ट्रपति ने किया था 101 रुपया दान

हाईकोर्ट के आदेशों के बाद नगर निगम ने विजय रामलीला कमेटी द्वारा बनाये गए रामलीला मंचन स्थल और दुकानों को ध्वस्त कर दिया। निगम प्रशासन का कहना है कि भवन का निर्माण अवैध तरीके से पार्क की जमीन पर किया गया था। नोटिस का जवाब ना देने पर सोमवार को निगम के ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की है।

By  Vinod Kumar January 31st 2023 01:04 PM

फरीदाबाद/सुधीर शर्मा: हाईकोर्ट के आदेशों के बाद नगर निगम ने विजय रामलीला कमेटी द्वारा बनाये गए रामलीला मंचन स्थल और दुकानों को ध्वस्त कर दिया। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक यह पार्क की जमीन है, जिस पर विजय रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों ने अवैध कब्जा कर मंदिर धर्मशाला और कमर्शियल दुकानें बना दी थी, जिसे हाईकोर्ट के आदेश के बाद तोड़ा गया है। 

फरीदाबाद की एक नंबर मार्केट में स्थित विजय रामलीला कमेटी में नगर निगम के तोड़फोड़ दस्ते ने कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण को गिरा दिया। नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक हाईकोर्ट में लगी एक पीआईएल के बाद उन्हें इस निर्माण को गिराने के आदेश मिले थे, सके बाद उन्होंने यह कार्रवाई की है, लेकिन तोडफ़ोड़ की कार्रवाई करने पहुंची नगर निगम की टीम को विजय रामलीला कमेटी के मेम्बर्स और स्थानीय लोगों का विरोध झेलना पड़ा, जिसके बाद पुलिस को उन्हें मौके से हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।

वहीं, कार्रवाई से नाराज लोगों ने कहा कि पिछले कई दशकों से यहां पर रामलीला कमेटी चल रही थी और यहां रामलीला का मंचन होता था। धर्मशाला में गरीब और कमजोर लोगों के विवाह आदि कराए जाते थे, उनके मुताबिक यहां पर कई सामाजिक कार्य भी होते थे, लेकिन अब निगम की इस कार्रवाई से कई लोगों को नुकसान हुआ है।

ये रामलीला कमेटी शहर की सबसे पुरानी है। साल 1957 में इस कमेटी की शुरुआत की गयी थी। तब देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इसकी ओपनिंग की थी और 101 रुपये दान के रूप में दिए भी थे। निगम प्रशासन का कहना है कि भवन का निर्माण अवैध तरीके से पार्क की जमीन पर किया गया था। नोटिस का जवाब ना देने पर सोमवार को निगम के  ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की है।

दरअसल एनआईटी एक स्थित विजय रामलीला कमेटी का दो मंजिला धर्मशाला बना हुआ था। इसमें करीब 18-20 दुकानें बनीं थी। नीचे सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बड़ा हॉल बनाया गया था। ये जमीन पुर्नवास विभाग की थी। करीब दो हजार वर्गगज जमीन पार्क के लिए चिन्हित की गई थी। वर्ष 2015 से सूरजभान बनाम स्टेट आफ हरियाणा का ये केस पंजाब एंड हाईकोर्ट में चल रहा था। जनवरी 2019 में हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण को तोड़कर स्टेट्स रिपोर्ट देने का आदेश दिया था।

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