पंचतत्व में विलीन हुए अरविंद कुमार, राजौरी में आंतकवादी मुठभेड़ के दौरान हुए थे शहीद

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर के शहीद जवान अरविंद कुमार का रविवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. सभी ने नम आंखों के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी.

By  Shagun Kochhar May 7th 2023 03:57 PM

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर के शहीद जवान अरविंद कुमार का रविवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. सभी ने नम आंखों के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी.


जम्मू के राजौरी में आंतकवादी मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए कांगड़ा जिला के सुलह उपमंडल के तहत मारहूं गांव के अरविंद कुमार का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया. परिजनों के साथ साथ क्षेत्रवासियों ने नम आंखों के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी. इस मौके पर प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री चौधरी चंद्र कुमार, सीपीए आशीष बुटेल सहित कई नेता और सैन्य अधिकारी और जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे.


'शहीद के बलिदान को याद रखेगा देश'

इस मौके पर कृषि एवं पशुपालन मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने कहा कि देश शहीद अरविंद कुमार के बलिदान को हमेशा याद रखेगा. उन्होंने कहा कि सरकार की और से शहीद के परिजनों को हर संभव सहायता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि अरविंद कुमार के जाने से उनके परिवार को जो हानि हुई है भगवान उन्हें उससे उभरने की शक्ति दे.


बेटियों के सिर से उठा पिता का हाथ

शहीद अरविंद कुमार के बड़े भाई भूपेंद्र कुमार ने उन्हें मुखअग्नि दी. इस दौरान शहीद की पत्नी, बुजुर्ग माता-पिता और बड़े भाई का रो-रो कर बुरा हाल था. परिजनों के बताया कि शहीद अरविंद कुमार बचपन से बेहद साहसी और प्रतिभाशाली थे. साल 2010 में वो पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए. उसके महज चंद सालों में ही उन्होंने स्पेशल फोर्स में अपनी जगह बना ली. फिलहाल वो 9 पैरा कमांडो के तहत अपनी सेवाएं दे रहे थे. अरविंद ने जर्मन कम्पीटीशन में भी अवॉर्ड हासिल किये थे. वो सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मिशन में भी अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं. अरविंद की 2 बेटियां हैं. अरविंद के परिवार में उनकी दो बेटियों के अलावा धर्मपत्नी, बुजुर्ग माता-पिता, एक बड़ा भाई और छोटी बहन हैं. 


जनवरी में आए थे घर

अरविंद के पिता पीडब्ल्यूडी से रिटायर्ड हुए हैं और मानसिक तौर पर अस्वस्थ हैं. बताया जा रहा है कि अभी जनवरी महीने में अरविंद कुमार घर आये थे. उनकी छोटी बेटी का ऑपरेशन होना था. कांगड़ा जिले के पालमपुर के सुलह के मरूंह निवासी अरविंद कुमार ने 33 साल की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है. अरविंद के पैतृक गांव मरूंह में मातम का माहौल पसरा है.

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