सिरसा के मेधांश ने बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के बाद एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम करवाया दर्ज, बच्चपन से हैं नेत्रहीन

By  Vinod Kumar November 15th 2022 03:22 PM

सिरसा/सुरेन सावंत: कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। कोई भी अगर दृढ़ निश्चय कर ले तो कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है। यही कर दिखाया है सिरसा के मेधांश सोनी ने। सिरसा के नोहरिया बाजार में रहने वाला मेधांश यह बता देता है कि 30 साल बाद या 30 साल पहले कौन सी तारीख पर कौन सा वार होगा। 

खास बात यह है कि मेधांश आंखों से देख नहीं सकते। अपनी काबिलियत के चलते मेधांश का पहले नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ और अब एशिया बुक में रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। मेधांश आईएएस बनना चाहते हैं। अपनी इस काबिलियत का श्रेय अपने पूरे परिवार के अलावा अपने शिक्षक को देते हैं। 

सिरसा के स्पेशल चाइल्ड मेधांश सोनी ने एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में कैलेंडर ब्वॉय में रिकॉर्ड बनाया है। वह 30 साल आगे और पीछे में किसी भी डेट का दिन पूछने पर स्टीक जानकारी देता है। पिछले वर्ष इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड बनाने के बाद 7 अक्तूबर 2022 को एशिया बुक ऑफ द रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया। 

मेधांश की माता रमता सोनी ने बताया कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनके बेटे मेधांश से 75 डेट के बारे में पूछा गया था। इसके बाद इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के बाद उसकी वीडियो एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भेजी। उस वीडियो के आधार पर मेधांश का नाम रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।

मेधांश बचपन से ही ब्लाइंड है, लेकिन मेधांश की मां रमता सोनी ने उसे ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाने की बजाए उसे नॉर्मल स्कूल में नॉर्मल बच्चों के साथ ही पढ़ाया। अब मेधांश सातवीं कक्षा में पढ़ता है। मेधांश साइंस ओलंपियाड में 10 मेडल जीत चुका है। मेधांश को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने पर सिरसा के तत्कालीन डीसी प्रदीप कुमार भी सम्मानित कर चुके हैं।

मेधांश की माता का कहना है कि मेधांश बचपन से देख नहीं सकता, लेकिन उन्होंने कभी भी उसे विशेष स्कूल में पढ़ाने के लिए नहीं भेजा है, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसके बच्चे को लोग स्पेशल बच्चा कहें। इसलिए उन्होंने शुरू से ही सामान्य स्कूल में दाखिला दिलाया हालांकि शुरू में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि स्कूल प्रबंधन मेधांश को सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने में आनाकानी करते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अब भी उसे सामान्य बच्चों के साथ ही शिक्षा दिलवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज उन्हें उसके बेटे के नाम से जाना जा रहा है बहुत खुशी हो रही है। 

वहीं छात्र मेधांश ने कहा कि उनसे बहुत खुशी हुई कि उसने उसका नाम इस एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में आया है। उसने बताया है कि जब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में उसका नाम आया तो उसने बहुत मेहनत की थी।

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