रेवाड़ी के पर्वतारोही नरेन्द्र ने किया कमाल, अंटार्कटिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी कर ली फतेह, फहराया तिरंगा
नरेन्द्र कोसली कस्बे के नेहरुगढ़ गांव के रहने वाले हैं। इस अभियान में नरेंद्र भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे जबकि अभियान को स्पार्क मिंडा ने स्पॉन्सर किया था
Baishali
December 26th 2024 04:26 PM --
Updated:
December 26th 2024 04:27 PM
रेवाड़ी: पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव ने कमाल कर दिखाया है. पर्वतारोही नरेंद्र ने अंटार्कटिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी विन्सन मैसिफ को 25 दिसंबर को सुबह 1 बजकर 42 मिनट पर फतह कर तिरंगा लहराया। नरेंद्र के मुताबिक जब उसने चोटी फतह की उस वक्त पर्वत का तापमान लगभग - 52°C चल रहा था। इस अभियान में बेस कैम्प से 6 दिन का समय लगा।

इस अभियान में पूरे विश्व से पर्वतारोही शामिल हुए थे। नरेन्द्र कोसली कस्बे के नेहरुगढ़ गांव के रहने वाले हैं। इस अभियान में नरेंद्र भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे जबकि अभियान को स्पार्क मिंडा ने स्पॉन्सर किया था। नरेंद्र ने अशोक मिंडा का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने एक साधारण किसान परिवार के बच्चे की काबिलियत को समझा जिसके चलते वे वैश्विक पटल पर भारत का नाम अंकित करने में सफल रहे.

सात महाद्वीपों पर फतेह का सपना हुआ
सेना के जवान कृष्णचंद के बेटे नरेंद्र का सपना सभी सात महाद्वीपों को फतह कर विश्व रिकॉर्ड बुक में अपनी छाप छोड़ने का था, जो इस छोटी को फतेह करके पूरा हुआ। नरेंद्र ने सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर फतह कर कई विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया है। उन्होंने 2012 में बेसिक्स ऑफ माउंटेनियरिंग, 2013 में एडवांस, 2015 में एमओआई (मेथड्स ऑफ इंस्ट्रक्शन) और 2022 में सर्च एंड रेस्क्यू समेत सभी प्रमुख पर्वतारोहण की पढ़ाई पूरी की है।
नरेन्द्र और उनकी उपलब्धियां
नरेंद्र ने 2016 और 2022 में 6 दिनों में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। उन्होंने माउंट किलिमंजारो को चार बार, माउंट एल्ब्रस को दो बार और माउंट कोसियसको सहित ऑस्ट्रेलिया की दस सबसे ऊंची चोटियों को तीन बार फतह किया है। इसके अलावा, उन्होंने दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी एकांकागुआ और उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी डेनाली पर भी फतह की है।

नरेंद्र की पर्वतारोहण यात्रा 12 साल की आयु में उनके स्कूल के दिनों में शुरू हुई, जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ाई की शुरुआत की. उन्होंने साल 2008 में नियमित रूप से पर्वतारोहण का अभ्यास शुरू कर दिया था, और समय के साथ अब कई रिकॉर्ड नरेन्द्र के नाम हो चुके हैं.