पीएफआई सदस्यों से पूछताछ में खुलासा, यूपी में निकाय चुनाव लड़ने की थी तैयारी

By  Vinod Kumar September 30th 2022 12:26 PM

यूपी एसटीएफ की पूछताछ में बढ़ा खुलासा हुआ है। पीएफआई के सदस्यों से पूछताछ में पता चला है कि पीएफआई निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी में थी। पीएफआई के कार्यकर्ता मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में चुनाव लड़ने की प्लानिंग बना रहे थे।

बलरामपुर, शाहजहांपुर, बहराइच, अलीगढ़, मुरादाबाद, बागपत, रामपुर जिलों में प्रत्याशी उतारने की योजना थी। चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक मदद तैयारी की जा चुकी थी। गिरफ्तार मोहम्मद वसीम ने इस साल विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था। इसके साथ ही गिरफ्तार अहमद बेग भी चुनाव लड़ चुका है।

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जांच में खुलासा हुआ है कि गिरफ्तारी के बाद पीएफआई सदस्यों के समर्थन में मैसेज भेजे जा रहे हैं। मैसेज भेजने वाले एसटीएफ के रडार पर है। जांच में ये भी पता चला है कि लॉकडाउन के दौरान विशेष समुदाय के युवकों को जोड़ने का काम पीएफआई ने किया है। ये भी पता चला है कि बहराइच से पीएफआई के कुछ हैंडलर्स के नेपाल भागने की भी जानकारी मिली है।

बता दें कि देशभर में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की दो-दो राउंड के बाद भारत सरकार ने वो कड़ा फैसला लिया था। पीएफआई यानि पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।

पीएफआई यानि पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया एक ऐसा संगठन है जो खुद को खास तौर से मुसलमानों, पिछड़ों और दलित वर्ग के उत्थान के लिए काम करने वाला समाजसेवी संगठन बताता है, लेकिन इसके गठन के बाद से ही इस पर समाज विरोधी गतिविधियों और देशविरोधी कामों के आरोप लगते रहे हैं। 17 फरवरी साल 2007 में पीएफआई का गठन हुआ था कर्नाटक और केरल जैसे दक्षिणी राज्यों में इसकी अच्छी पकड़ है, लेकिन साथ ही पीएफआई का दावा है कि देश के 23 राज्यों में इसके कार्यकर्ता सक्रिय है. जांच एजेंसियों के मुताबिक। दिल्ली में सीएए प्रदर्शन को लेकर साल 2020 में हुए दंगों में भी पीएफआई की सक्रिय भूमिका थी।

देशविरोधी ताकतों का साथ देने, आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और देश का आपसी सौहार्द बिगाड़ने की साजिश रचने के पीएफआई पर आरोप लगते रहे हैं। इसके साथ ही देश की अखंडता को प्रभावित करने के आरोप में भी पीएफआई पर ये बड़ी कार्रवाई की गई है। इस बीच पीएफआई के करीब 100 से ज्यादा बड़े नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया है.

 

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