देश को पूंजीपतियों का गुलाम बनाएंगे ये तीन अध्यादेश: गुरनाम सिंह

By  Arvind Kumar June 7th 2020 02:59 PM -- Updated: June 7th 2020 03:00 PM

चंडीगढ़। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के ये अध्यादेश देश को पूंजीपतियों का गुलाम बनाएंगे। 'एक देश एक मंडी' पर गुरनाम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की यह योजना केवल पूंजीपतियों के लिए कृषि बाजार में जमीन तैयार करना है क्योंकि किसानों के लिए सारे देश में कोई भी फसल कहीं भी बेचने का कानून तो पहले से ही है लेकिन छोटे-छोटे किसान जिनके पास 2 एकड़ भूमि या इससे कम है। वह अपनी फसल दूसरे स्थानों में ले जाने में असमर्थ होता है। इस कानून का सहारा लेकर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी हाथ खींच रही है।

'जरूरी खादय वस्तु अधिनियम से पाबंदी हटाना': खाद्य वस्तुओं जैसे अनाज, दालें, आलू, प्याज आदि को इसलिए बाहर किया गया है ताकि सारा कृषि व्यापार बड़े पूंजीपतियों के हवाले किया जा सके और बड़े पूंजीपतियों की कंपनियां आपस में पूल करके देश के किसानों का भारी शोषण करेगी जिससे किसान मजबूरी वश खेती छोड़ेंगे और ज्यों-ज्यों किसान खेती छोड़ेते जाएंगे त्यों-त्यों ये कंपनिया खेती पर कब्जा करती जाएंगी और इस प्रकार से एक दिन पूरा किसान खेती से बाहर हो जाएगा।

खाद्य वस्तुओं की स्टॉक सीमा को समाप्त किया जाना : खाद्य वस्तुओं की स्टाक सीमा को समाप्त करने से चंद पूंजीपति ही सारे देश का खाद्यान स्टॉक कर लेंगे। इससे दो प्रकार के नुकसान होने की पूरी संभावना है। छोटा व्यापारी ख़त्म हो जाएगा क्योंकि बड़ी मछ्ली छोटी मछली को खा जाती है। जब खाद्यान चंद पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा तब वह देश में किसी भी खाद्य वस्तु की कमी के समय अपना माल रोक कर मनमर्ज़ी की कीमते वसूलेंगे और भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में भुखमरी फैलेगी।

These three ordinances will make the country a slave of the capitalists says Gurnam Singhगुरनाम सिंह ने कहा कि इसी प्रकार का उदाहरण कुछ वर्ष पहले भी महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने कुछ पूंजीपतियों को दाल के स्टॉक की छूट दी थी और जबकि उस वर्ष देश में दालों उपलब्धता उसके पिछले सालों से ज्यादा थी। तभी देश में अचानक दाल के भाव 200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया था। जिससे अदानी जैसे पूंजीपति मालामाल हो गए थे। मोदी सरकार की लगभग सभी नीतियां देश की खेती व खेती के व्यापार को पूंजीपतियों के हवाले करने वाली हैं जो देश के लिए घातक सीद्ध होगा। क्योंकि यह अब भी देश की 65% जनसंख्या का रोजगार खेती है।

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