फसलों के अवशेष जलाने की घटनाओं की होगी निगरानी, सरकार ने बनाए जोन

By  Arvind Kumar September 23rd 2020 12:15 PM

 चंडीगढ़। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने फसलों के अवशेष जलाने पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से पिछले साल अवशेष जलाने की घटनाओं के आधार पर सभी जिलों में लाल, पीले /नारंगी और हरे रंग के जोन बनाए हैं। इनमें 332 गांव लाल जोन में और 675 पीले जोन में आए हैं।

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कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने उन सभी 11,311 किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन योजना ‘फसलों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा’ के तहत वर्तमान मौसम में कृषि उपकरणों के लिए आवेदन किया है। इसके तहत 50 फीसदी की दर से कुल 155 करोड़ वित्तीय सहायता के रूप में दिए जाएंगे।

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To Curb burning of crop residues Govt created zones

उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 454 बेलर, 5820 सुपर सीडर, 5418 जीरो-टील सीड-ड्रिल, 2918 चोपर/मल्चर, 260 हैप्पी सीडर, 389 स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, 64 रोटरी स्लैशर्स/शर्ब मास्टर्स, 454 रिवर्सेबल मोल्ड हल और 288 रीपर लाभार्थियों को प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि किसानों और सोसायटियों से कृषि उपकरणों के लिए 21 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे। उन्होंने बताया कि 16,647 उपकरणों के लिए 11,311 किसानों ने आवेदन किए।

To Curb burning of crop residues Govt created zones

कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को उपकरण प्रदान करने में व्यक्तिगत लाभार्थियों को कस्टम हायरिंग सेंटर से मशीनरी लेने के लिए वरीयता देने का फैसला किया था। उन्होंने बताया कि राज्य में अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 1,304.95 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इस योजना में इन-सीटू और एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकों का एक मिश्रण शामिल है।

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एक समर्पित नियंत्रण कक्ष के माध्यम से गतिविधियों की निगरानी के अलावा नियमों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर का पंजीकरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष इस योजना के तहत हरियाणा को 170 करोड़ प्रदान किए हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में जिला प्रशासन और विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया गए हैं कि वे फसलों के अवशेष जलाने की घटनाओं की निगरानी करें और रिपोर्ट करें।

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