ऑस्ट्रेलिया ने लौटाई 29 बेशकीमती कलाकृतियां, सालों पहले हुई थी इनकी तस्करी
नई दिल्ली: 9वीं-10वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की 29 प्रतिमाओं को भारत एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया से वापस लाया है। मुख्य रूप से ये बलुआ पत्थर, संगमरमर, कांस्य, पीतल और कागज में उकेरी गईं मूर्तियां और पेंटिंग हैं। इनमें भगवान शिव, उनके शिष्य, शक्ति की पूजा, भगवान विष्णु और उनके रूप, जैन परंपरा, चित्र और सजावटी वस्तुएं शामिल हैं।
भारतीय इतिहास से जुड़े ये पुरातत्व अवशेषों को वर्षों पहले तस्करों ने देश के बाहर भेज दिया था। सरकार के हस्तक्षेप के बाद ये पुरातन कलाकृतियां दोबारा भारत लाई गईं हैं। सोमवार को इनके वापस आने पर पीएम मोदी ने इनका निरीक्षण किया।
यह प्राचीन मूर्तियां राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल से हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 29 पुरावशेषों को भारत को वापस किया है।
बता दें कि पिछले साल जुलाई में भारत सरकार की पहल के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भारत को कलाकृति लौटाने का फैसला लिया था। ऑस्ट्रेलिया की कैनबरा आर्ट गैलेरी ने भारत से चुराई गई कलाकृतियों की पहचान की थी। तब गैलरी के निदेशक ने कहा था कि कलाकृतियों को मूल देश को लौटाना सांस्कृतिक जिम्मेदारी है और ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के बीच सहयोग का परिणाम है। हम भारत सरकार के सहयोग के लिए उनके आभारी है और हम खुश है कि अब सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण इन वस्तुओं को लौटा सकते हैं।
भारत में पिछले सालों में 200 से ज्यादा ऐतिहासिक महत्व की प्राचीन प्रतिमाएं वापस लाई जा चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी को ‘मन की बात’ में भारत की प्राचीन मूर्तियों का जिक्र किया था। उन्होंने बताया था कि इन मूर्तियों को वापस लाना भारत मां के प्रति हमारा दायित्व है। पीएम मोदी ने बताया था कि 2013 तक करीब 13 प्रतिमाएं ही भारत लाई जा सकी थीं, लेकिन पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को भारत सफलता के साथ वापस लाया जा चुका है।
बता दें कि 2014 में भी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंदू देवताओं की दो प्राचीन मूर्तियां सौंपी थीं, जिन्हें कथित तौर पर तमिलनाडु के मंदिरों से चुराया गया था।