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russia ukraine war: कच्चे तेल में तेजी से बाजार का मूड खराब, बिगड़ जाएगा भारत का बजट

Written by  Vinod Kumar -- March 07th 2022 12:52 PM
russia ukraine war: कच्चे तेल में तेजी से बाजार का मूड खराब, बिगड़ जाएगा भारत का बजट

russia ukraine war: कच्चे तेल में तेजी से बाजार का मूड खराब, बिगड़ जाएगा भारत का बजट

russia ukraine war: यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बाद रूस को कड़े आर्थिक प्रतिबंधों (Sanctions On Russia) का सामना करना पड़ रहा है। अब अमेरिका और यूरोपीय देश रूसी तेल व गैस (Russian Oil&Gas) पर भी बैन लगाने की तैयारी में हैं। इसके लिए ईरान (Iran) को वापस मार्केट में लाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इस दिशा में हो रही देरी से क्रूड ऑयल (Crude Oil) के भाव में रिकॉर्ड तेजी बनी हुई है और यह 14 साल के हाई पर पहुंच चुका है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) अभी 11.67 डॉलर यानी करीब 10 फीसदी चढ़कर 129.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। यह 2008 के बाद क्रूड ऑयल का सबसे ऊंचा स्तर है। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) भी 10.83 डॉलर यानी 9.4 फीसदी उछलकर 126.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। प्रतिशत के हिसाब से देखें तो कच्चा तेल के इन दोनों वेरिएंट में यह मई 2020 के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी बढ़त है। रविवार को कारोबार शुरू होने के चंद मिनटों में ही क्रूड ऑयल और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट दोनों जुलाई 2008 के बाद के उच्च स्तर पर पहुंच गए। जुलाई 2008 में ब्रेंट क्रूड 147.50 डॉलर और डब्ल्यूटीआई 147.27 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। ईरान को तेल मार्केट में वापस लाने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देश 2015 की न्यूक्लियर डील (Iran Nuclear Deal) पर नए सिरे से बातचीत शुरू करना चाह रहे हैं। इस बारे में लगाए जा रहे कयासों के बीच रूस ने रविवार को अमेरिका से इस बात की गारंटी की मांग कर दी कि यूक्रेन को लेकर उसके ऊपर जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका ईरान के साथ रूस के ट्रेड पर कोई असर नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार, चीन ने भी नई मांगें थोप दी हैं। इस कारण बातचीत पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। ईरान के साथ न्यूक्लियर डील संभव रूस की मांग पर अमेरिका के विदेश मंत्री Antony Blinken ने कहा कि रूस के ऊपर जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका ईरान के साथ संभावित डील से कोई लेना-देना नहीं है। ब्लिंकेन ने ये भी बताया कि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी रूसी तेल के इम्पोर्ट पर बैन लगाने के उपाय तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस अपने बैन पर आगे बढ़ रही है। ब्लिंकेन के बयान और ईरान के साथ बातचीत पर अनिश्चितता के चलते क्रूड ऑयल को ऊपर चढ़ने का मौका मिला। 200 डॉलर तक जा सकता है कच्चा तेल रूस अभी रोजाना करीब 70 लाख बैरल तेल सप्लाई करता है। रिफाइंड प्रोडक्ट के मामले में टोटल ग्लोबल सप्लाई में रूस का हिस्सा करीब 7 फीसदी है। बैंक ऑफ अमेरिका के एनालिस्ट मानते हैं कि अगर रूस के ज्यादातर सप्लाई को रोक दिया गया तो बाजार में एक झटके में 50 लाख बैरल की कमी आ सकती है। अगर ऐसा होता है तो क्रूड ऑयल का भाव 200 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। एनालिस्ट की राय है कि ईरान को रूसी सप्लाई की भरपाई करने में महीनों लग सकते हैं। भारत को हो सकती हैं ये दिक्कतें अगर ऐसा होता है तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत जैसे देश होंगे, जो अपनी ईंधन व ऊर्जा की जरूरतों के लिए बड़े हद तक इम्पोर्ट पर निर्भर करते हैं। भारत अभी अपनी जरूरतों का करीब 85 फीसदी इम्पोर्ट करता है। ग्लोबल मार्केट में जैसे-जैसे क्रूड के दाम चढ़ेंगे, भारत का इम्पोर्ट बिल भी मोटा होता जाएगा। इससे विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आने का खतरा है। फिस्कल डेफिसिट के मोर्चे पर पहले से चुनौतियों से जूझ रहे भारत के लिए ऐसी स्थिति परेशान करने वाली होगी। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्रोड्यूसर रूस इस समय दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऑयल प्रोड्यूसर है। वह रोजाना 5-6 मिलियन बैरल तेल एक्सपोर्ट करता है। तेल निर्यात पर प्रतिबंधों के कारण ही इसका भाव 14 सालों के उच्चतम स्तर पर (130 डॉलर) पहुंच गया है। इसके अलावा OPEC+ देश भी प्रोडक्शन बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। इसके कारण सप्लाई की समस्या लगातार गंभीर हो रही है। अन्य एशियाई बाजार का हाल अन्य एशियाई बाजारों में हांगकांग, शंघाई और तोक्यो लाल निशान में थे। इस बीच अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 8.84 प्रतिशत बढ़कर 128.6 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को शुद्ध रूप से 7,631.02 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।


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