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मुलायम सिंह यादव के फैसले से हर शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचता है घर, रूस से भारत को दिलाए थे सुखोई-30

Written by  Vinod Kumar -- October 10th 2022 01:49 PM
मुलायम सिंह यादव के फैसले से हर शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचता है घर, रूस से भारत को दिलाए थे सुखोई-30

मुलायम सिंह यादव के फैसले से हर शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचता है घर, रूस से भारत को दिलाए थे सुखोई-30

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में निधन हो गया है। आज सुबह गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। मुलायम सिंह यादव पिछले कई दिनों से मेदांता अस्पताल में भर्ती थे और उनका इलाज चल रहा था। मुलायम सिंह 7 बार एमपी और आठ बार विधायक रहे। मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री भी रहे। आज अगर किसी शहीद सैनिक का शव सम्मान के साथ उनके परिजनों को पहुंचता है तो इसका पूरा श्रेय मुलायम सिंह यादव को ही जाता है। आजादी के बाद कई सालों तक सीमा पर कोई भारतीय सैनिक शहीद हो जाता था तो उसका पार्थिव शरीर उसके घर पर नहीं पहुंचाया जाता था। जवान का वहीं पर अंतिम संस्कार करने के बाद परिवार को सिर्फ जवान का कीमती सामान और टोपी ही दी जाती थी। जब मुलायम सिंह यादव ने देश के रक्षा मंत्री की कुर्सी संभाली तो उन्होंने ये तय किया कि अब सीमा पर शहीद हुए सैनिक का पार्थिव शरीर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके घर तक पहुंचाया जाएगा और जिले के एसपी-डीएम सैनिक के घर जाकर उसे श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद सैनिकों के पार्थिव शरीर सम्मान के साथ घर पहुंचना शुरू हुए थे। मुलायम सिंह के रक्षा मंत्री रहते ही भारत को रूस से सुखोई-30 युद्धक विमान मिले थे। 1996 में आम चुनाव से पहले पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने अंतिम दिनों में रूस के साथ सुखोई विमान समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। बीजेपी ने इस डील का विरोध किया। बीजेपी का सवाल था कि सरकार जल्दबाजी में ये डील कर रही है। इसमे कोई बड़ा घोटाला हो सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी की चिंता थी कि बिना अंतिम कीमत तय किए 35 करोड़ डॉलर रूस को क्यों दिए गए। वाजपेयी ने ये भी कहा कि अगर ये एक अच्छा एयरक्राफ्ट है तो घोटाले की बेबुनियादी बातों से डील को नुकसान नहीं होना चाहिए। अंत में डील फाइनल हुई और भारत को सुखोई विमान मिले जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ गई। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को यूपी के इटावा जिले में हुआ था। राममनोहर लोहिया को अपना आदर्श मानते थे। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ भी उन्होंने काम किया। उन्हें चौधरी चरण सिंह 'लिटिल नेपोलियन' बुलाते थे।


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