हिमाचल में विधायकों की मौज, जनता के पैसों से भरा जाता है MLA का टैक्स...हर साल 2 करोड़ का भुगतान करती है सरकार
हिमाचल प्रदेश में माननीयों की ख़ूब मौज है। विधायकों व मंत्रियों के वेतन भत्तों का टैक्स भी सरकार चुकता करती है। हिमाचल उन पांच राज्यों में से एक है जिनके माननीयों का टैक्स सरकार चुकाती है। हिमाचल के अलावा हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के माननीयों का टैक्स भी सरकार ही अदा करती है। हिमाचल प्रदेश में 68 विधायक हैं। जिनका सालाना टैक्स क़रीब 2 करोड़ बनता है। हिमाचल प्रदेश ऐसे पांच राज्यों में से एक है जहां माननीयों को सबसे ज़्यादा वेतन भत्ते मिलते हैं। माननीयों के टैक्स को लेकर हिमाचल हाइकोर्ट ने नोटिस जारी कर 6 हफ़्ते में जबाब तलब किया है। हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट के वकीलों ने इसको लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। जिसमें ये कहा गया कि जब देश का हर व्यक्ति टैक्स अदा कर रहा है तो माननीय का टैक्स सरकार क्यों दे रही है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1971, जिसके तहत विधान सभा के सदस्यों और मंत्रियों को उनके द्वारा अर्जित आय पर विभिन्न भत्तों और अनुलाभों के साथ आयकर का भुगतान करने से दी गई छूट असंवैधानिक है। इसके अलावा मंत्रियों के वेतन और भत्ते (हिमाचल प्रदेश) अधिनियम, 2000 के कुछ प्रावधान भी असंवैधानिक हैं, जिसके आधार पर मंत्रियों को उनके द्वारा अर्जित आय पर आयकर का भुगतान करने से छूट दी गई है. माननीयों ने अपने लिए अलग से कानून बनाकर ये प्रावधान किया है जो गलत है। याचिकाकर्ताओ की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश मनिकटला ने बताया कि उच्च न्यायालय ने माननीयों के वेतन भत्तों पर सरकार द्वारा टैक्स दिया जाता है। जिसको लेकर हिमाचल सरकार, विधानसभा व भाजपा के महेंद्र सिंह ठाकुर, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, सीपीआईएम के नेता राकेश सिंघा व निर्दलीय होशियार सिंह को नोटिस जारी कर जबाब तलब किया गया है। इनसे छह हफ़्ते में जबाब मांगा गया है। उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि उच्च न्यायलय इसमें उनके पक्ष व जनहित में फैसला लेगा।