Himachal: कुफरी में 217 घोड़े चलने का नोटिस, कारोबारियों में मचा हड़कंप, NGT ने कसा शिकंजा
ब्यूरो : शिमला के मशहूर पर्यटन स्थल कुफरी के घोड़ा कारोबारियों को बड़ा झटका लगा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि (NGT) के 25 मई और 12 जुलाई के आदेशों की अनुपालना करते हुए वन विभाग ने कुफरी में घोड़ों की संख्या अधिकतम 217 निर्धारित कर दी है। DFO ठियोग ने कुफरी में नोटिस लगा दिया है। इससे घोड़ा कारोबारियों में हड़कंप मच गया है। गौरतलब है कि कुफरी में अभी 700 से 1000 घोड़े काम कर रहे हैं। वहां पर अब तय संख्या से ज्यादा घोड़े चलाए की इजाजत नहीं मिलेगी। यह आसपास की पांच छह पंचायतों के घोड़ा कारोबारियों के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि बहुत से परिवारों की रोजी-रोटी घोड़ों से होने वाली कमाई पर निर्भर करती है।
दरअसल NGT ने एक याचिका की सुनवाई का निपटारा करते हुए कुफरी में घोड़ों के कारण पर्यावरण व देवदार के जंगल को हो रहे नुकसान को देखते हुए एक कमेटी गठित की थी। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और ज्यूडिशियल मेंबर डॉ. ए. सेंथिल वेल विशेषज्ञ सदस्य की बेंच ने कमेटी को 2 महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा था। कमेटी ने फील्ड विजिट के बाद NGT को अपनी रिपोर्ट दी। इसमें 200 से 217 घोड़ों की आवाजाही की सिफारिश की गई। इसके आधार पर DFO ठियोग ने कुफरी में घोड़ों की संख्या को लेकर नोटिस लगाया है। अब देखना होगा कि किस तरह कुफरी में जिला प्रशासन और वन विभाग घोड़ों की संख्या नियंत्रित करता है।
दिल्ली के एडवोकेट शेलेंद्र कुमार यादव ने NGT में एक याचिका दायर की थी। इसमें दलील दी थी कुफरी में घोड़ों की अनियंत्रित आवाजाही के कारण पर्यावरण और वनस्पति को नुकसान हो रहा है। देवदार के पेड़ों की जड़ें और छोटे पौधे तबाह हो रहे हैं। कोर्ट में दलील दी गई कि इससे जलस्रोत सूख रहे हैं। 8-10 वर्ग किलोमीटर के एक छोटे से क्षेत्र में लगभग 700-800 घोड़े काम कर रहे हैं। इससे पूरे क्षेत्र में पेड़ों की जड़ें, घोड़ों की लीद और गंदगी सरेआम देखी जा सकती है। चायल-कुफरी सड़क पर भी घोड़ों के मालिकों ने JCB मशीन लगाकर क्षतिग्रस्त किया है। इससे क्षेत्र में फॉरेस्ट और इकोलॉजिकल संतुलन बिगड़ा रहा है। इस वजह से कुफरी में 2 सालों से कम बर्फ गिर रही है और क्षेत्र में पानी के स्त्रोत सूख रहे हैं।
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