अयोध्या पहुंचने शालिग्राम शिलाओं के आगे 'नतमस्तक' हुई आस्था, छह हजार पुरानी इन चट्टानों से बनेगी रामलला की मूर्ति
नेपाली की गंडकी नदी से लाई गई शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुंच गई हैं। अयोध्या में हर्ष और उल्लास के साथ स्वागत किया जा रहा है। अयोध्या में माहौल भक्तिमय हो गया है। लोगों ने पुष्प वर्षा की तो जमकर आतिशबाजी भी हुई। अयोध्या पहुंचने पर शालिग्राम शिला पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉक्टर अनिल मिश्र, निवर्तमान महापौर ऋषिकेश उपाध्याय सहित अन्य बीजेपी नेताओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
विशेषज्ञों की निगरानी में चार क्रेनों की मदद से इन शिलाओं को उतारा गया। मंत्रोच्चारण के साथ देव शिलाओं की पूजा की गई। इन शिलाओं को राम मंदिर समिति को सौंप दिया गया। छह हजार करोड़ साल पुरानी इन शिलाओं से भगवान राम की बाल रूप मूर्ति को राम मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा। ये मूर्तियां अगले साल जनवरी में मकर संक्रांति तक बनकर तैयार हो जाएंगी।
नेपाल की पवित्र काली गंडकी नदी से ये पत्थर निकाले गए हैं। शालीग्राम शिलाओं की यात्रा बिहार से होकर यूपी में कुशीनगर और गोरखपुर होते हुए बुधवार को अयोध्या पहुंची थी। अभी ये तय नहीं किया गया है कि राम लला का विग्रह इसी से बनेगा या नहीं। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि विशेषज्ञ इसकी जांच के बाद अपनी राय देंगे। शिलाओं जांच के बाच मालूम होगा कि इसका भीतरी हिस्सा कैसा है। प्राथमिकता के तहत शालीग्राम शिलाओं से ही राम लला के विग्रह को बनाने की है।
चंपतराय ने कहा कि किसी तरह की तकनीकी परेशानी पाए जाने पर ओडिशा और कर्नाटक से भी पत्थर की शिलाओं को मंगवाया गया है। 2 माह तक इनकी जांच के बाद सब8 कुछ साफ हो जाएगा। बता दें कि शास्त्रों के मुताबिक, शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का जिक्र भी किया गया है। लोगों के मुताबिक, इन शिलाखंडों का धार्मिक महत्व है. क्योंकि इनका संबंध भगवान विष्णु से है।
- PTC NEWS