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दुनिया में पर्यटन के लिये खास पहचान रखने वाली "पहाड़ों की रानी शिमला" के रोचक तथ्य, जानें क्यूं खास है हिमाचल की राजधानी?

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Poonam Mehta
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दुनिया में पर्यटन के लिये खास पहचान रखने वाली "पहाड़ों की रानी शिमला" के रोचक तथ्य, जानें क्यूं खास है हिमाचल की राजधानी?
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शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पर्यटन के लिये जानी जाती है। देश विदेश से पर्यटक इसकी सुंदरता को निहारने के लिए यहां आते हैं। हिमाचल प्रदेश को रहस्यों की भूमि कहा जाता है, यहां एक्सप्लोर करने और कुछ नया जानने के लिए बहुत कुछ उपलब्ध है। चारों तरफ से बर्फीली घाटियों और हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा यह पहाड़ी राज्य अपने अंदर कई राज समेटे हुए है, जिसके विषय में अभी तक कोई संपूर्ण जानकारी इकट्ठा नहीं कर पाया है। यहां ऐसे बहुत से प्राचीन स्थल मौजूद हैं, जिनका इतिहास पौराणिक काल से जुड़ा हुआ। publive-image भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही है शिमला 1864 में शिमला को भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया था। आजादी के बाद शिमला पंजाब की राजधानी बन गई और बाद में इसे हिमाचल प्रदेश की राजधानी बनाया गया।
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कालका-शिमला रेल मार्ग विश्व धरोहर में भारत का कालका-शिमला रेलवे मार्ग भी शामिल है। जो कि 118 साल पुराना हो गया है। कालका-शिमला रेल मार्ग को केएसआर के नाम से भी जाना जाता है। शिमला को जोड़ने के लिए 19वीं शताब्दी के शुरुआत में इसे बनाया गया था। 9 नवंबर 1903 को कालका-शिमला रेलमार्ग की शुरुआत हुई थी।publive-image डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट.... डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट या डूरंड कप भारत की एक फुटबॉल प्रतियोगिता है, जो पहली बार 1888 में शिमला के अन्नाडेल में आयोजित की गई थी। यह डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट सोसाइटी (DFTS)  और ओसियां ने मिलकर करवाई। यह टूर्नामेंट एशिया का सबसे पुराना मौजूदा फुटबॉल टूर्नामेंट है। टूर्नामेंट का नाम इसके संस्थापक सर मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया है, जो 1884 से 1894 तक भारत के विदेश सचिव थे।
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publive-image दक्षिण एशिया की एकमात्र प्राकृतिक आइस स्केटिंग रिंक शिमला में दक्षिण एशिया की एकमात्र प्राकृतिक आइस स्केटिंग रिंक है। इस स्थल पर अक्सर राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। आइस स्केटिंग क्लब की शुरुआत 1920 में शुरू की गई। जहां आज स्केटिंग रिंक है, वहां कभी टेनिस कोर्ट हुआ करता था। ब्लेस्सिंगटन नामक एक अंग्रेज को स्केटिंग शुरू करने का श्रेय जाता है और इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। ब्लेस्सिंगटन ने देखा कि सर्दियों में टेनिस कोर्ट के नलके और इसके आसपास का पानी जमा है। इसको देखते हुए ब्लेस्सिंगटन ने टेनिस कोर्ट को पानी से भर दिया जो पूरी तरह से जम गया। इसको देखकर ब्लेस्सिंगटन ने 1920 में स्केटिंग रिंक में बदल दिया और आइस स्केटिंग क्लब की स्थापना की।publive-image
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शिमला सम्मेलन शिमला सम्मेलन 25 जून, 1945 ई. को हुआ था। यह शिमला में होने वाला एक सर्वदलीय सम्मेलन था, जिसमें कुल 22 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख नेता जवाहरलाल नेहरू, मुहम्मद अली जिन्ना, इस्माइल खॉ, सरदार वल्लभ भाई पटेल, अबुल कलाम आज़ाद, ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार खॉ, तारा सिंह आदि है। ब्रिटिश भारत की प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों में से एक 'मुस्लिम लीग' की ज़िद के कारण यह सम्मेलन असफल हो गया।publive-image शिमला सम्मेलन' में कांग्रेस के प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व अबुल कलाम आज़ाद ने किया था। सम्मेलन के दौरान 'मुस्लिम लीग' द्वारा यह शर्त रखी गयी कि वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में नियुक्त होने वाले सभी मुस्लिम सदस्यों का चयन वह स्वयं करेगी। 'मुस्लिम लीग' का यही अड़ियल रुख़ 25 जून से 14 जुलाई तक चलने वाले 'शिमला सम्मेलन' की असफलता का प्रमुख कारण बना। गांधी की पहली शिमला यात्रा 1921
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में महात्मा गांधी की पहली शिमला यात्रा वर्ष 1921 में हुई। उस यात्रा में वे चक्कर में शांत कुटीर में ठहरे थे। तब ये मकान होशियारपुर के साधु आश्रम की संपत्ति थी। publive-image शिमला में चला गांधी हत्या का मुकदमा 30 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी। ये दिलचस्प तथ्य है कि आजाद भारत में महात्मा ने शिमला की कोई यात्रा नहीं की। ये बात अलग है कि गांधी जी की हत्या का ट्रायल शिमला में ही हुआ। मौजूदा समय में हिमाचल के राज्य अतिथिगृह "
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पीटरहॉफ" में गांधी जी की हत्या का मुकदमा चला था, जो उस समय पंजाब हाईकोर्ट कहलाता था।publive-image पहाड़ियों का शहर शिमला हिमाचल प्रदेश के शिमला को सात पहाड़ियों का शहर भी कहते हैं। यह शहर शिमला नाम के गांव  पर बसा है। इसको अंग्रेजो ने बसाया था। यह अंग्रेजों के समय में ग्रीष्म कालीन राजधानी भी रहा है।
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publive-image इन पहाड़ियों पर बसी है पहाड़ों की रानी जाखु पहाड़ी शिमला में ऊंचाई 8050 फिट , प्रॉस्पेक्ट हिल ऊंचाई 7140 फिट, ऑब्जरवेटरी हिल ऊंचाई 7050 फिट, एलिसीयम हिल ऊंचाई 7140 गीत और समरहिल ऊंचाई 690 फिट। शिमला के उत्तर में मंडी और कुल्लू है। वहीं पूर्व में किन्नौर दक्षिण में उत्तराखंड और सिरमौर जिला है। इसकी ऊंचाई 600 मीटर से 6000 मीटर है।publive-image ऐतिहासिक रिज मैदान की है अपनी खासियत राजधानी शिमला का ऐतिहासिक रिज मैदान अपने आप में खास है। इस मैदान में वैसे तो कई ऐतिहासिक रैलियां हुई हैं। लेकिन ये मैदान अपनी एक और खासियत के लिए भी जाना जाता है। दरअसल रिज मैदान पर जब वर्षा होती है तो उत्तर की ओर से वर्षा का पानी सतलुज नदी में जाता है और वहां से अरब सागर में मिलता है। रिज के दक्षिण की ओर गिरने वाला पानी यमुना में पहुंचता है और बंगाल की खाड़ी में मिलता है। publive-image शिमला के जाखू मंदिर में आज भी हैं हनुमान के पद-चिह्न शिमला के जाखू में स्थित हनुमान मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। जहां देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्म जी के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर आकाश मार्ग से जाते हुए। हनुमान जी की नजर यहां तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी। publive-image बाद में इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर ही यक्ष से याक, याक से याकू, याकू से जाखू तक बदलता गया। हनुमान जी विश्राम करने और संजीवनी बूटी का परिचय प्राप्त कर करने के लिए जाखू पर्वत के जिस स्थान पर उतरे, वहां आज भी उनके पद चिह्नों को संगमरमर से बनवा कर रखा गया है। publive-image माउंटेन बाइकिंग रेस एमटीबी हिमालय की मेजबानी करता है शिमला अपने कठोर भौगोलिक इलाके के कारण, शिमला माउंटेन बाइकिंग रेस, एमटीबी हिमालय की मेजबानी करता है। सर्वप्रथम 2005 में शुरू हुआ और दक्षिण एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है।publive-image शिमला से जुड़ी फिल्मी हस्तियां अनुपम खेर वैसे तो कश्मीरी पंडित है, लेकिन इनके पिता की नौकरी शिमला में होने के कारण इनका जन्म भी शिमला में 7 मार्च 1955 में हुआ था। इनके पिताजी का नाम पुष्कर खेर था, जो की वन-विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे। जबकि मां दुलारी खेर गृहिणी थी। अनुपम का अपने माता-पिता से काफी लगाव रहा है,जो कि समय-समय पर अब भी अनुपम के सोशल मीडिया के अकाउंट पर दिखता रहता है। publive-image प्रेम चोपड़ा का जन्म 23 सितम्बर 1935 को लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था। प्रेम के पिता का नाम रनबीर लाल और मां का नाम रूपरानी चोपड़ा है। प्रेम चोपड़ा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई शिमला से पूरी की है। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पंजाब विश्वविद्यालय से पूरी की है।publive-image -PTC NEWS-
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