नवरात्रि में आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें विधि और उपाय...पूजन से मिलता है ये फल
आज शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के अविवाहित रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जा रही है। माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी दुनियां में ऊर्जा प्रवाहित करती हैं। माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से मन को शांति मिलती है।
शास्त्रों में माता ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी माना गया है। कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन, धैर्य और ज्ञान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या, जबकि चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। मतलब ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तपस्वी।
माता ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जाप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। नवरात्रि के दूसरे दिन सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। पूजा के लिए बनाए गए आसन मां की आराधना की जाती। पूजन में फूल, अक्षत, रोली, चंदन अर्पित किया जाता है।
भोग के रूप में ब्रह्मचारिणी माता को पंचामृत अर्पित कर सकते हैं। साथ में मिठाइयों, पान, सुपारी, लौंग का भोग लगाया जाता। इसके बाद देवी ब्रह्मचारिणी मां के मंत्रों का जाप करने के साथ साथ मां की जाती है। पूजा में दुर्वा घास वर्जित है। मां ब्रह्मचारिणी के लिए "ॐ ऐं नमः" का जाप करें। ऊंची आवाज की जगह मन में जाप करें।
मां का ब्रह्मचारिणी रूप बेहद शांत, सौम्य हैं। माना जाता है कि ब्रह्मचारिणी की पूजा से वैराग्य, तप, सदाचार, त्याग की प्राप्ति होती है। मां के इस स्वरूप को पूजन से साधक होने का फल मिलता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है। इसके साथ ही जीवन में चल रही तमान बाधाएं दूर हो जाती है।