रूस -यूक्रेन युद्ध के बीच जिंदगी बांट रहा भारत का ये लाल, 12 सौ किलोमीटर का सफर कर पहुंचा बुडापेस्ट
russian ukraine war: यूक्रेन के बॉर्डर पर अपनी जान बचाने के लिए भटक रहे लोगों को जिंदगी बांट रहे हैं। छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहने वाले राजदीप सिंह हरगोत्रा जर्मनी के म्यूनिख शहर में रहते हैं। यूक्रेन में जंग और बॉर्डर के इलाकों में फंसे भारतीय लोगों और स्टूडेंट्स की खबर सुनकर तुरंत बुडापेस्ट पहुंच गए। यहीं से भारतीय छात्रों के लिए इंडियन एंबेसी की ओर कैंप बनाए गए हैं और उन्हें एयरलिफ्ट किया जा रहा है।
राजदीप सिंह अपने दोस्तों के साथ जर्मनी से 1200 किलोमीटर का लंबा सफर तयकर बुडापोस्ट में लोगों की मदद के बाद पोलैंड और हंगरी बॉर्डर जा रहे हैं। जरूरतमंदों के लिए दवाएं, खाना, जूस, पानी, सोने के लिए गद्दे, चादरें बांट रहे हैं।
कुछ साथियों को लेकर जर्मनी से 9-9 लोगों की क्षमता वाली दो गाड़ियां लेकर निकले हैं, इसमें सामान लाद रखा है। ये बॉर्डर एरियाज में जाकर वहां फंसे भारतीय और दूसरे देश के लोगों को भी राहत का सामान दे रहे हैं। राजदीप ने बताया कि वो हंगरी-यूक्रेन बॉर्डर जाने के लिए रवाना हो चुके हैं। वहां राहत सामग्री छोड़ेंगे। बॉर्डर पर फंसे कुछ लोगों के रहने का इंतजाम ऑस्ट्रिया में दोस्तों के घरों पर किया है।
भारतीय नहीं बल्कि यूक्रेन में फंसे हंगरी, जर्मनी के लोगों को भी मदद कर रहे हैं। राजदीप सिंह हरगोत्रा ने दोस्तों का ग्रुप बनाया है। कई स्टूडेंट्स और लोगों को इस्कॉन मंदिर, गुरुद्वारों में हम सुरक्षित भेज रहे हैं। राजदीप सिंह हरगोत्रा जर्मनी के म्यूनिक में रहते हैं। वह जम्प रोप के अंतरराष्ट्रीय प्लेयर हैं। 2013 में चीन की राजधानी बीजिंग में 126 जंप कर रेकॉर्ड भारत के नाम दर्ज कराया और कई पदक भी जीते। राजदीप ने जम्प रोप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया है। अब वो बुडापोस्ट में लोगों की मदद कर अलग मिसाल पेश कर रहे हैं।
वहीं, राजदीप लगातार सोशल मीडिया के जरिए लोगों से ज्यादा से ज्यादा जुड़ रहे और उनकी मदद कर रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें इस काम में आर्ट ऑफ लिविंग संस्था, गुरुद्वारे और कई सामाजिक संस्थाओं की मदद भी मिल रही है। साथ ही साथ कई लोग डोनेशन कर राजदीप की इस मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं।
मीडिया से बात करते हुए राजदीप ने कहा है कि वॉर जोन में फंसे लोग हर दिन मदद के लिए फोन कर रहे हैं। कुछ लोगों को आस्ट्रिया में शिफ्ट भी करवाया हूं। उन्होंने कहा कि वॉर जोन में डर के बारे में नहीं सोचता हूं। हमारी कोशिश है कि यहां से ज्यादा से ज्यादा लोगों को मैं निकाल सकूं। दिन रात उनकी सेवा में लगा हूं।
राजदीप ने इंडियन एम्बेसी से बात कर यूक्रेन बॉर्डर तक जाने की परमिशन ली। जहां उन्हें 18 भारतीय और 14 यूक्रेनियन साथी मिले। जिन्हें उन्होंने सही सलामत रेस्क्यू कर बुडापेस्ट स्थित सेफ हाउस पहुंचाया। उनकी ट्रक में एक समय पर 9 लोगों को लाया जा सकता है। इस तरह वे उन्हें तीन से चार बार टूर कर लोगों को सही जगह पहुंचा रहे हैं। ऑस्ट्रिया में उनके कुछ साथी मौजूद हैं, जिन्होंने उनके रहने का इंतजाम किया है। इसके अलावा कई एनजीओ भी मदद कर रहे हैं।