रूस ने चेर्नीहीव पर शुरू किए हमले, जेलेंस्की ने नाटो से मांगे टैंक और विमान
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) को एक महीने से ज्यादा का वक्त पूरा हो गया है। तमाम प्रतिबंध लगने और कई राउंड की शांति वार्ता होने के बावजूद रूस (Russia) यूक्रेन से बाहर नहीं आ रहा है। वो अधिकतर शहरों को तबाह करने के बाद भी यहां हमले करना जारी रखे हुए है। रूस की मंशा जंग खत्म करने की नजर नहीं आ रही है। रूस ने चेर्नीहीव को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। ये शहर यूक्रेन के उत्तर में स्थित है, जहां हर तरफ मौत का खतरा नजर आ रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि ये शहर अगला मारियुपोल बन सकता है। रूसी सैनिकों ने चेर्नीहीव को घेर लिया है, रास्ते ब्लॉक कर दिए हैं और लगातार आगे बढ़ रहे हैं। वहीं, ल्वीव पर भी रूस ने रॉकेट दागे हैं। क्षेत्रीय गवर्नर मैक्सिम कोजित्स्की ने फेसबुक पर कहा कि पहले हमले में दो रूसी रॉकेट शामिल थे, जो ल्वीव के उत्तर पूर्वी इलाके में एक औद्योगिक क्षेत्र मे गिरे और इस घटना में चार लोग घायल हो गए। घटनास्थल से कई घंटे तक काला धुआं उठता रहा। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन को नाटो देशों में तैनात विमानों और टैंकों के सिर्फ एक प्रतिशत की जरूरत है। यूरोपीय नेताओं को दिए अपने भाषण में जेलेंस्की ने कीव को हथियारों की आपूर्ति करने से इनकार करने और हंगेरियन क्षेत्र के माध्यम से हथियारों के हस्तांतरण की अनुमति नहीं देने के लिए हंगरी की आलोचना की है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने मॉस्को को गुस्से में चेतावनी दी कि वह यूक्रेनी लोगों के भीतर रूस के लिए गहरी घृणा के बीज बो रहा है, क्योंकि तोपों से किए जा रहे हमलों एवं हवाई बमबारी के कारण शहर मलबे में तब्दील हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे आम नागरिकों की मौत हो रही है और अन्य लोग शरणस्थलों की खोज में हैं तथा जीवित रहने के लिए भोजन एवं पानी की तलाश कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन का कहना है कि रूस में सत्ता परिवर्तन के लिए अमेरिका के पास कोई रणनीति नहीं है। बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार को पोलैंड में पुतिन के बारे में कहा, ‘यह शख्स सत्ता में नहीं रह सकता। हालांकि बाइडेन के बयान के बाद क्रेमलिन (रूस के राष्ट्रपति कार्यालय) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बाइडेन की निंदा करते हुए कहा, ‘रूस में कौन सत्ता में रहेगा यह ना तो अमेरिका के राष्ट्रपति तय करेंगे और ना ही अमेरिकी लोग।’