कौन होगा उत्तराखंड में सीएम... पुष्कर धामी हारे चुनाव, हरीश रावत भी को भी मिली शिकस्त
उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनना लगभग तय हो गया है। कांग्रेस की उम्मीदों को यहां दोहरा झटका लगा है। कांग्रेस को यहां सत्ता में वापसी की उम्मीद थी, लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस को जनता ने नकार दिया। इसी के साथ कांग्रेस प्रत्याशी और दिग्गज नेता हरीश रावत भी चुनाव हार गए।
बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे खटीमा सीट से आए। यहां से उत्तराखंड के मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए हैं। बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। चुनाव में बीजेपी आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार करती तो दिख रही है, लेकिन धामी खुद अपनी सीट से चुनाव हार गए हैं। धामी को खटीमा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी ने 6 हजार वोटों से हराया।
खटीमा से 2 बार के विधायक थे धामी
उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले में खटीमा विधानसभा सीट है। यह सीट सूबे की सबसे हॉट सीट थी। खटीमा विधानसभा सीट से सीएम पुष्कर सिंह धामी दो बार विधायक रहे, हालांकि, व अपनी सीट से ही इस बार चुनाव हार गए।
भाजपा ने उत्तराखंड के 5 साल के कार्यकाल के दौरान तीन मुख्यमंत्री दिए और तीसरे सीएम धामी थे, जिनके चेहरे को चुनाव प्रचार अभियान में पोस्टरों पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ धामी को ही जगह दी गई। मोदी समेत भाजपा के तमाम नेताओं ने प्रचार के मंचों से धामी को ही अगले सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किया। अब वह चुनाव हार गए हैं, तो बीजेपी के सामने बड़ा संकट पेश है। बड़ी खबर यह भी है कि तीन बार मुख्यमंत्री पद के करीब पहुंचे सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) भी चौबट्टाखाल सीट से हार गए हैं।
हरीश रावत भी हारे
उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुआं से चुनाव हार गए हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस ने रावत के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा था। हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा, लालकुआं विधानसभा क्षेत्र से मेरी चुनावी पराजय की औपचारिक घोषणा ही बाकी है। मैं लालकुआं क्षेत्र के लोगों से क्षमा चाहता हूं कि मैं उनका विश्वास अर्जित नहीं कर पाया और जो चुनावी वादे उनसे मैंने किए। उनको पूरा करने का मैंने अवसर गंवा दिया है।
बीजेपी ने तोड़ी 20 साल पुरानी रिवायत
उत्तराखंड में अभी तक जनता हर 5 साल में सरकार बदल देती थी। यही वजह है कि यहां अभी तक 2002 में राज्य बनने के बाद से चार बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। हर बार अलग सरकार बनी है। 2002 में यहां कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। वहीं, 2007 में बीजेपी, 2012 में कांग्रेस और 2017 में बीजेपी ने सरकार बनाई। लेकिन अब तक के नतीजों में बीजेपी ये ट्रेंड तोड़ती नजर आ रही