मंकीपॉक्स को लेकर WHO ने बजाई खतरे की घंटी, बीमारी को बताया वैश्विक आपातकाल, भारत में बढ़ा खतरा
दुनिया के अलग अलग देशों में मंकीपॉक्स के लगातार मामले सामने आने के बाद भारत में भी इसके मामले बढ़ने लगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को अब वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की श्रेणी में डाल दिया है यानि मंकीपॉक्स का खतरा आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। भारत में दिल्ली और केरल समेत मंकीपॉक्स के अब तक 4 मामलों की पुष्टि हो चुकी है जिससे भारत में भी मंकीपॉक्स के खतरे की घंटी बजने लगी है।
केरल में मंकीपॉक्स के अब तक 3 मरीज पाए गए हैं और ये तीनों ही संयुक्त अरब अमीरत से लौटे थे। उधर दिल्ली के मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। मंकीपॉक्स के आंकड़े दुनिया के दूसरे देशों में डराने वाले हैं जबकि भारत में भी इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग अभी से अलर्ट है। मंकीपॉक्स भी जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी ही है और इसके लक्षण आम तौर पर दो से चार हफ्तों तक रहते हैं।
मंकीपॉक्स के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, गले में खराश, खांसी भी शामिल है और इसके बाद शरीर पर घाव नजर आने लगते हैं। दुनिया के करीब 75 देश ऐसे हैं जहां पर मंकीपॉक्स दस्तक दे चुका है और इसके अब तक 16 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इन 16 हजार मामलों में करीब 80 फीसदी मामले तो अकेले यूरोप के देशों में ही सामने आए हैं।
प्रतीकात्मक फोटो
कोरोना के दौर में जिस तरह का हाल दुनियाभर का हुआ था, मंकीपॉक्स से भी दुनिया के ज्यादातर देश अब वैसे ही जूझ रहे हैं। इन मामलों में लगातार इजाफा देखते हुए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मंकीपॉक्स के लक्षण काफी हद तक चेचक के लक्षणों से मिलते जुलते हैं और पूर्व में चेचक से पीड़ित लोगों में भी ये लक्षण नजर आए हैं।
इस बीमारी का रोगी पहली बार साल 1958 में सामने आया था जब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में चेचक के रोगियों जैसे लक्षण दिखने लगे थे। इन्हीं बंदरों से ये बीमारी इंसानों में फैली और अब अचानक इसके मरीजों में बड़े स्तर पर इजाफा देखने को मिला है। इसी वजह से इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स रखा गया है।