Veer Bal Diwas: अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे, किसी के सामने झुके नहीं: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 'वीर बाल दिवस' के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। इस मौके पर पीएम मोदी ने वीर साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे आज 26 दिसंबर के दिन को 'वीर बाल दिवस' के तौर पर घोषित करने का मौका मिला। पीएम मोदी ने कहा कि ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति’ था

By  Vinod Kumar December 26th 2022 02:57 PM

गुरू गोबिंद सिंह के साहिबजादों की याद में देशभर में आज 'वीर बाल दिवस' (Veer Bal Diwas) मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 'वीर बाल दिवस' के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम साहिबजादों की कुर्बानी को समर्पित है। इस मौके पर बाल कीर्तनियों की ओर से शबद कीर्तन किया गया, जिसमें पीएम मोदी भी शामिल हुए।

इस मौके पर पीएम मोदी ने वीर साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे आज 26 दिसंबर के दिन को 'वीर बाल दिवस' के तौर पर घोषित करने का मौका मिला।

पीएम मोदी ने कहा कि वीर बाल दिवस से हम अपने अतीत को पहचानने और ये आने वाले भविष्य को पहचानने की क्षमता देगा, जो पीढ़ी जोर और जुल्म के आगे झूक जाती है वो हमेशा के लिए गिर जाते हैं। भारत की युवा पीढ़ी भी देश को आगे ले जाने के लिए निकल चुकी है। सिख गुरु परंपरा आस्था के प्रतीक के साथ साथ देश की आन-बान-शान के भी प्रतीक हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति’ था। एक तरफ धार्मिक कट्टरता में अंधी हो चुकी मुगल सल्तनत थी और दूसरी तरफ ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु थे। एक तरफ आतंक की पराकाष्ठा, तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष! एक तरफ मजहबी उन्माद और दूसरी तरफ सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता! इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज और दूसरी तरफ अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे! ये वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं।

इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने वीर बाल दिवस पर एक बुकलेट भी जारी की है, जिसमें साहिबजादा जोरावर सिंहजी और साहिबजादा फतेह सिंहजी के बचपन से लेकर शहादत तक की जीवनयात्रा को चित्रों के जरिए दिखाया गया है। गुरु किला आनंदगढ़ साहिब, गुरु गोविंद सिंह का परिवार जहां बिछड़ा था उस स्थान की भी चित्रों सहित जानकारी इस बुकलेट में दी गई है।



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