हलद्वानी में नहीं चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पांच हजार परिवारों ने ली राहत की सांस

सुप्रीम कोर्ट ने हलद्वानी में हाईकोर्ट के उस आदेश पर स्टे लगा दिया है, जिसमें रेलवे को सात दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है। इस मामले को मानवीय पहलू से भी देखना चाहिए। मामले के समाधान की आवश्यकता है।

By  Vinod Kumar January 5th 2023 01:41 PM

उत्तराखंड में हल्द्वानी की गफूर बस्ती से अतिक्रमण हटाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट के आदेश से लगभग 50 हजार लोगों को बड़ी राहत मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर स्टे लगा दिया है, जिसमें रेलवे को सात दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति संजय कौल ने कहा कि इस मामले को मानवीय पहलू से भी देखना चाहिए। मामले के समाधान की आवश्यकता है। 

सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी करेंगे। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस कौल ने पूछा कि कितनी जमीन रेलवे की है और कितनी राज्य की? क्या वहां रह रहे लोगों का दावा लंबित है? इनका दावा है कि बरसों से रह रहे हैं। यह ठीक है कि उस जगह को विकसित किया जाना है, लेकिन उनका पुनर्वास होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा- 7 दिन में 50 हजार लोगों को रातोंरात नहीं उजाड़ सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा। अब मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। अगली सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने को कहा है। बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हलद्वानी की गफूर बस्ती में रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को गिराने का आदेश दिया था। यहां करीब 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं। हाईकोर्ट के आदेशों को इन परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 

20 दिसंबर को उत्तराखंड HC के आदेश के बाद रेलवे ने समाचार पत्रों में नोटिस जारी किया था, जिनमें लोगों को 9 जनवरी तक अपना घर खाली करने को कहा गया था। इसके लिए प्रशासन ने 10 एडीएम और 30 एसडीएम-रैंक के अधिकारियों को प्रक्रिया की निगरानी करने का निर्देश दिया थे। नोटिस में कहा गया था कि सात दिन के अंदर अतिक्रमणकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, अन्यथा हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण तोड़ दिया जाएगा। उसका खर्च भी अतिक्रमणकारियों से वसूला जाएगा।  


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