उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर जहां हर साल राष्ट्रपति भवन से भेंट किया जाता है नमक, जानिए रहस्य

महाशिव का रूप महासू देवता मंदिर, सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल के लोगों की आस्था का केंद्र है। न्याय के सबसे बड़े न्यायालय के देवता के रूप में महासू देवता पूजे जाते हैं।

By  Rahul Rana March 15th 2023 11:27 AM

ब्यूरो: महासू देवता मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में त्यूनी-मोरी रोड़ के नजदीक व चकराता के पास हनोल गांव में टोंस नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह मंदिर देहरादून से 190 किलोमीटर और मसूरी से 156 किलोमीटर दूर स्थित हैं। हनोल में स्थित महासू देवता मंदिर के बारे में दिलचस्प बात यह है कि यहां  हर साल दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट स्वरूप आता है। 

महासू देवता मंदिर उत्तराखंड की प्रकृति की गोद में बसा एक पौराणिक व प्रसिद्ध मंदिर हैं। मान्यता है कि महासू देवता मंदिर में जो भी कोई भक्त सच्चे मन से कुछ भी मांगता है तो महासू देवता उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट किया जाता है। मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को संजोए यह मंदिर बहुत प्राचीन व प्रसिद्ध हैं।


महासू देवता मंदिर में महासू देवता की पूजा की जाती हैं, जो कि शिवशंकर भगवान के अवतार माने जाते हैं। ‘महासू देवता’ एक नहीं चार देवताओं का सामूहिक नाम है और स्थानीय भाषा में महासू शब्द ’महाशिव’ का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू है, जो कि भगवान शिव के ही रूप हैं।


महासू देवता के मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों का जाना मना है। केवल मंदिर का पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है। यह बात आज भी रहस्य है। कि मंदिर में हमेशा एक अखंड ज्योति जलती रहती है जो कई वर्षों से जल रही है। मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक धारा भी निकलती है, लेकिन वह कहां जाती है, कहां से निकलती है यह अभी तक अज्ञात है।


मंदिर में महासू देवता के नाम का भी गूढ़ अर्थ है। मान्यता है कि महासू का मतलब है- महाशिव, जो अपभ्रंश होकर महासू हो गया। उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता की पूजा होती है। 


उत्तराखंड के इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है। वर्तमान में महासू देवता के भक्त मन्दिर में न्याय की गुहार करते हैं और उसमें अर्जी लगाते है, जिससे उनको न्याय तुरन्त मिलता हैं। माना जाता है कि जो भी यहां सच्चे दिल से कुछ मांगता है कि महासू देवता उसको मन चाहा फल देते हैं। 

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