कोराना से लड़ने में कैसे काम आ सकती है कोहरे की बूंदें? जानिए

By  Arvind Kumar April 11th 2020 10:01 AM

नई दिल्ली। कोहरा घना हो तो अक्सर दुर्घटना की आशंका रहती है। लेकिन, अब पुणे स्थित राष्ट्रीय रासानिक प्रयोगशाला (एनसीएल) के परिसर में कोहरे की सूक्ष्म बूंदों का उपयोग कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए किया जा रहा है। संक्रमण से बचाव के लिएविशेष रूप से बनायी गईएक मिस्ट सैनिटाइजर इकाई इस काम कोबखूबी अंजाम दे रही है।

अंग्रेजी के मिस्ट (MIST)शब्द को कोहरे या धुंध का पर्याय माना जाता है। इसमिस्ट सैनिटाइजर इकाई को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है, जिससे इसके भीतर से होकर गुजरने वाले व्यक्ति पर 10-15 सेकंड के लिए कोहरे की बौछार होती है। बौछार के लिए पानी में 0.5 प्रतिशत हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मापदंडों के अनुसार मिलाया जाता है, जो संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देता है।

Subtle drops of fog being used to prevent infection with Kovid-19 कोराना से लड़ने में कैसे काम आ सकती है कोहरे की बूंदें? जानिए

इस सैनिटाइजर इकाई के भीतर से एक बार में सिर्फ एक ही व्यक्ति होकर गुजर सकता है। इस इकाई में मिस्ट जेनरेशन सिस्टम, पंपिंग सेट, मिस्ट जेनरेशन नोजल, पाइप सेट और सैनिटाइजिंग तरल पदार्थ को रखने का टैंक शामिल है। यह इकाई 12 फीट लंबी है और इसके भीतर लगे 24 नोजल मिस्ट या कोहरे की बौछार करते हैं। इन नोजल्स को अलग-अलग ऊंचाई पर लगाया गया है, ताकि इससे होकर गुजरने वाले व्यक्ति के पूरे शरीर पर बौछार की जा सके। इस मिस्ट चैंबर के भीतर की जाने वाली बौछार की महक स्वीमिंग पूल के क्लोरीन युक्त पानी की तरह होती है।

कुछ दिनों तक इस इकाई का परीक्षण एनसीएल, पुणे में किया जाएगा और इसे आवश्यकतानुसार एनसीएल के आंतरिक उपयोग के लिए संस्थान के मुख्य द्वार के प्रवेश द्वार के पास रखा जाएगा। एनसीएलके सूक्ष्मजीव-विज्ञानी डॉ. महेशधर नेऔर डॉ. सैयद दस्तार के नेतृत्व में एकटीम इसके संपर्क में आने से पहले और उसके बाद में सतहों पर सूक्ष्मजीव-रोधी गतिविधियों का अध्ययन कर रही है। इस मिस्ट सैनिटाइजर इकाई को एलऐंडटी डिफेंस द्वारा डिजाइन किया गया है और पुणे के एक उत्पादक द्वारा एलऐंडटी की देखरेख में इसे बनाया गया है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह सैनिटाइजर इकाई अस्पतालों और अन्य संस्थागत निकायों में लगायी जा सकती है। (इंडिया साइंस वायर)

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