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भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप अवांच्छित : उपराष्ट्रपति

Written by  Arvind Kumar -- January 28th 2020 10:14 AM
भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप अवांच्छित : उपराष्ट्रपति

भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप अवांच्छित : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली। भारतीय संविधान और भारतीय सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मुद्दों पर विदेशी हस्तक्षेप के रुझान के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि इस तरह के प्रयास पूरी तरह से नाजायज और अवांच्छनीय हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि भविष्य में बाहर के लोग इस तरह के बयान नहीं देंगे। दरअसल उपराष्ट्रपति नई दिल्ली में ‘टीआरजी-एन एनिग्मा’ पुस्तक के विमोचन के बाद उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि परिपक्व गणराज्य और लोकतांत्रिक देश होने के नाते भारत अपने नागरिकों की चिंताओं का समाधान करने में सक्षम है और ऐसे मामलों में दूसरों की सलाह या निर्देश की कोई जरूरत नहीं है। [caption id="attachment_384042" align="aligncenter" width="700"]External interference in India's internal affairs undesirable: Vice President भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप अवांच्छित : उपराष्ट्रपति[/caption]

नायडू ने कहा, ‘गणराज्य के रूप में 70 वर्ष के अनुभव के आधार पर हमने विभिन्न चुनौतियों का कामयाबी से सामना किया है और तमाम चुनौतियों पर विजय पाई है। हम अब पहले से अधिक एक हैं और किसी को भी इस सम्बंध में चिंता करने की जरूरत नहीं है।’

[caption id="attachment_384043" align="aligncenter" width="700"]External interference in India's internal affairs undesirable: Vice President भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप अवांच्छित : उपराष्ट्रपति[/caption] भारत में शिक्षा में अपने 50 वर्षीय अभूतपूर्व योगदान के लिए तिलक राज गुप्ता की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे मानवीय आधार पर काम करते थे और अपने छात्रों, कर्मियों तथा अभिभावकों के लिए उनके मन में सदैव प्रेम और लगाव का भाव रहा है। अपनी इसी भावना के बल पर वे एक शानदार शिक्षाविद् बने। नायडू ने कहा कि 21वीं सदी में शिक्षाविदों की भूमिका ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें बच्चों के लिए एक सच्चा आदर्श बनना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘शिक्षाविदों को नई प्रौद्योगिकी को प्राचीन परंपराओं तथा उभरने वाले नए ज्ञान को प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों के साथ जोड़ने की क्षमता रखनी चाहिए।’ यह भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री की दो टूक: अब देश का बंटवारा नहीं हो पाएगा, कोशिश करने वालों पर कार्रवाई
---PTC NEWS---

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