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Himachal: दफ़्तरों के बोझ तले दब गई पर्यटन नगरी शिमला, क्यों नही शिफ़्ट किये जाते दफ़्तर शिमला से बाहर ?

अंग्रेजों द्वारा बनाई गई पहाड़ों की रानी शिमला अब दफ्तरों के बोझ तले दब चुकी है। अंग्रेज़ो ने मैदानी इलाकों की धूल मिट्टी से बचने के लिए पहाड़ों की रानी शिमला को देश की दूसरी राजधानी के लिए चुना था।

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Rahul Rana -- August 29th 2023 05:10 PM
Himachal: दफ़्तरों के बोझ तले दब गई पर्यटन नगरी शिमला, क्यों नही शिफ़्ट किये जाते दफ़्तर शिमला से बाहर ?

Himachal: दफ़्तरों के बोझ तले दब गई पर्यटन नगरी शिमला, क्यों नही शिफ़्ट किये जाते दफ़्तर शिमला से बाहर ?

पराक्रम चन्द : शिमला: अंग्रेजों द्वारा बनाई गई पहाड़ों की रानी शिमला अब दफ्तरों के बोझ तले दब चुकी है। अंग्रेज़ो ने मैदानी इलाकों की धूल मिट्टी से बचने के लिए पहाड़ों की रानी शिमला को देश की दूसरी राजधानी के लिए चुना था। लेकिन आज़ादी के बाद जब हिमाचल अस्तित्व में आया तो अधिकतर दफ़्तर शिमला में बेतरतीब ढंग से खोल दिए गए। कई दफ़्तर तो ऐसे है जो प्रदेश के किसी भी जिले में खोले जा सकते थे। ताकि राजधानी में संकरी होती सड़कें, घटती जमीन, बढ़ती आबादी, सड़कों पर जाम, और अब तो बरसात में दरकने वाली शिमला की पहाड़ियाँ, जिससे आम आदमी परेशान है, उससे निज़ात मिल जाती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


कुमार हाउस में बिजली बोर्ड का दफ़्तर राज्य के किसी भी हिस्से से संचालित हो सकता है। उद्यान विभाग का दफ़्तर सेब बहुल क्षेत्र में बन सकता था व अभी भी बदला जा सकता है। एसजेबीएनएल का दफ़्तर भी किन्नौर या अन्य जिले में बनाया जा सकता था। इसी तरह बागवानी, खाद्य आपूर्ति, कृषि, जनजातीय, ग्रामीण विकास जैसे बड़े विभाग शिमला से क्यों नही बदले जाते है? यदि शिक्षा बोर्ड, कृषि विश्वविद्यालय, हॉर्टिकल्चर व फॉरेस्ट्री विश्वविद्यालय शिमला से बाहर स्थापित हो सकते हैं तो अन्य दफ़्तर क्यों नहीं? 

क्योंकि इन दफ़्तरों में हज़ारों कर्मचारी कार्यरत है। उनके लिए घर, पार्किंग व अन्य सुविधाओं का भार ढोते ढोते पहाड़ों की रानी शिमला थक चुकी है। सबसे बड़ी कमी राजनीतिक इच्छाशक्ति की है। क्योंकि यदि विधानसभा धर्मशाला में स्थापित हो सकती है तो उस जगह का सदुपयोग क्यों नही किया जा रहा है। पर्यटन नगरी शिमला को बचाए रखना है तो अब समय आ गया है कि ऊपरी हिमाचल व निचले हिमाचल की तुच्छ मानसिकता को त्यागकर कड़े फ़ैसले लें ताकि शिमला के सीने से बोझ कम हो सके। 

- PTC NEWS

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