लाल किले पर हमले के आरोपी आतंकी मोहम्मद आरिफ की फांसी की सजा बरकरार, SC ने खारिज की पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। अशफाक साल 2000 में लाल किले पर हुए हमले का आरोपी है।
चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने 2000 में लाल किले पर हमले के मामले में मोहम्मद आरिफ को दी गई मौत की सजा को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एक पुनर्विचार याचिका पर यह फैसला सुनाया।
22 दिसंबर 2000 को तीन घुसपैठियों ने लाल किले पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस फायरिंग में 7वीं राजपुताना राइफल्स के तीन जवान शहीद हो गए थे। भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में लालकिला में घुसपैठ करने वाले दो आतंकवादी भी मारे गए थे।
मो. आरिफ पाकिस्तानी नागरिक है। 25 दिसंबर 2000 को आरिफ को गिरफ्तार किया गया था। आरिफ आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। लाल किला हमले के मामले में 31 अक्टूबर 2005 को निचली अदालत ने आरिफ को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
बता दें कि 2013 में उच्चतम न्यायालय ने आरिफ की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए उसकी रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया था। इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की क्यूरेटिव पिटिशन को भी खारिज कर दिया था।
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