सर्जिकल स्ट्राइक: आतंकियों के कैंप पर मौत बनकर बरसे थे भारतीय जांबाज और ले लिया था साथियों की मौत का बदला
18 सितंबर 2016 को उरी में सेना पर हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा था। आतंकियों ने सेना के कैंप में टैंट रात के समय टैंट में सो रहे जवानों पर हमला कर दिया था। इस कायराना हमले में भारत के 18 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद पूरे देश गुस्से में उबल रहा था। देश की जनता खून के बदले खून की मांग कर रही थी। इस हमले के बाद भारतीय सेना का भी खून खौल रहा था। भारत ने आतंकियों को ऐसा सबक सिखाने का फैसला लिया जिसके बारे में आतंकियों ने कभी सोचा भी नहीं होगा। 11 दिन बाद ने भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान में आतंकियों के अड्डे पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। भारतीय सैनिक ने सर्जिकल स्ट्राइक में 40 आतंकियों को ढेर कर दिया और उनके लॉन्च पैडस को नेस्तनाबूद कर दिया। 2016 को 28-29 सितंबर की रात को भारतीय सेना ने एलओसी पर बने आतंकी ठिकानों को नष्ठ कर दिया था। इस बात की जानकारी तत्कालीन DGMO लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने दी थी। इस मिशन को स्पेशल फोर्सेज के 25 कमांडो ने अंजाम दिया था। मिशन पर गई कमांडों की टीम के लिए एलओसी पर 150 कमांडो को स्टैंडबाय पर रखा गया था। सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल सभी भारतीय अपने मिशन को अंजाम देकर सकुशल लौट आए थे। भारतीय सेना ऑपरेशन को अंजाम देकर वापस लौट आई, लेकिन पाकिस्तान और उसकी आर्मी को इसकी भनक भी नहीं लगी। पाकिस्तान की इतनी फजीहत हुई कि उसने सर्जिकल स्ट्राइक की बात को मानने से ही इनकार कर दिया। ये उरी हमले का बदला और पाकिस्तान को चेतावनी थी। बात दें कि इस मिशन को पूरी तरह गोपनीय रखा गया था। पीएम, एनएसए अजीत डोभाल, तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, आर्मी चीफ समेत 7 लोगों को इसकी जानकाकीर थी। मिशन के लिए कमांडो को मात्र 2 घंटे का ही वक्त दिया गया था। भारतीय वायुसेना भी इस ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रही थी।