किसान आंदोलन में शामिल 4 युवक चोरी की वारदात को दे रहे थे अंजाम, 3 को पकड़ा, एक फरार

By  Arvind Kumar August 2nd 2021 01:30 PM -- Updated: August 2nd 2021 01:31 PM

टीकरी बॉर्डर, बहादुरगढ़। (प्रदीप धनखड़) टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में भाग लेने आए चार युवकों पर दुकान के ताले तोड़कर मोबाइल, गैस सिलेंडर, बर्तन और अन्य सामान चोरी करने के आरोप लगे हैं। इस मामले में दुकानदारों ने चोरी की वारदात को अंजाम देकर भाग रहे तीन युवकों को मौके पर ही दबोच लिया। वहीं एक युवक अंधेरे का फायदा उठा कर मौके से फरार हो गया।

पकड़े गए तीनों आरोपियों को स्थानीय लोगों ने पुलिस के हवाले कर दिया। पकड़े गए तीनों आरोपी पंजाब के भटिंडा के रहने वाले हैं और पिछले लंबे समय से किसान आंदोलन में शामिल हैं। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। आरोपियों को आज पुलिस कोर्ट में पेश करेगी।

सिटी थाना प्रभारी विजय कुमार ने बताया कि टिकरी बॉर्डर के साथ लगते आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में एक दुकान में चार युवक रात के समय चोरी की वारदात को अंजाम दे रहे थे। लेकिन रात के समय अचानक कुत्तों के भोंकने के कारण स्थानीय लोगों की आंख खुल गई। स्थानीय लोगों ने चोरों को पकड़ने का प्रयास किया और तीन युवकों को मौके पर धर दबोचा। जबकि एक युवक अंधेरे का फायदा उठाकर किसी तरह भाग निकला। बाद में पुलिस को मामले की सूचना दी गई और पकड़े गए तीनों युवकों को पुलिस के हवाले कर दिया गया।

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सिटी थाना प्रभारी ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान पंजाब के भटिंडा निवासी प्रदीप और मंडी थाना निवासी रोबिन व आकाश के रूप में हुई है। फिलहाल पुलिस ने तीनों युवकों से आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में पिछले दिनों हुई अन्य चोरी की वारदातों के बारे में पता लगा रही है। हालांकि तीनों युवकों के कब्जे से दुकान से चुराए हुए मोबाइल व कुछ अन्य सामान बरामद हो गए हैं। पुलिस तीनों युवकों को आज कोर्ट में पेश कर इनका रिमांड हासिल करने की कोशिश करेगी।

आपको बता दें कि यह पहली दफा नहीं है जब किसान आंदोलन में शामिल लोगों पर अपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी आंदोलन में शामिल विभिन्न लोगों पर रेप, हत्या, लूट और चोरी जैसी वारदातों में शामिल होने के आरोप लगे हैं। इतना ही नहीं इनमें से कुछ आरोपी तो सलाखों के पीछे जा चुके हैं। वहीं कुछ की तलाश पुलिस कर रही है। इसी तरह की घटनाओं के कारण किसान आंदोलन बदनाम हो रहा है और आंदोलनकारियों पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

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