यूपी में CAA के विरोध में प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकरियों की जब्त की गई संपत्ति फिलहाल लौटाई जाएगी। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने दिसंबर 2019 में भेजे गए तोड़फोड़ की भरपाई के नोटिस वापस ले लिए हैं।
सरकार अब कानून के आधार पर दोबारा इसकी प्रक्रिया शुरू करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी अनुमति देते हुए कहा कि लोगों से वसूल किया गया हर्जाना राज्य सरकार वापस कर दे और नए कानून के तहत बने क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद दोबारा वसूली करे।
आज यूपी सरकार के लिए पेश राज्य की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 14 और 15 फरवरी को नया आदेश जारी कर सभी पुराने नोटिस वापस ले लिए गए हैं। इन सभी 274 मामलों की फाइल क्लेम ट्रिब्यूनल को भेजी जाएगी। जजों ने इसकी सराहना की।
पिछले हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को सभी सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने की चेतावनी दी थी, जिसे लागू न करने पर कानून के उल्लंघन के लिए कार्रवाई को ही रद्द करने की चोतावनी दी गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत है और इसे कायम नहीं रखा जा सकता। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपियों की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए कार्रवाई करने में खुद एक शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक की तरह काम किया है।
बता दें कि दिसंबर 2019 में कुछ जगहों पर सीएए विरोधी प्रदर्शन हिंसक हो गए। इस दौरान सीएए के प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित कई शहरों में कथित तौर पर सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ की और आग लगा दी थी। इसके बाद यूपी सरकार ने उपद्रवियों की संपत्ति कुर्क करने का नोटिस जारी किया था।