बोलने-सुनने में असमर्थ लेकिन जिंदगी से नहीं कोई शिकवा, कहानी एक ई-रिक्शा चालक की
Arvind Kumar
March 10th 2019 12:23 PM --
Updated:
March 10th 2019 12:25 PM
करनाल। (डिंपल चौधरी) इंसान की कमजोरी और उसकी ताकत उसकी सोच पर निर्भर करती है। अगर सोच पक्की हो तो आदमी कभी हार नहीं सकता। दुनिया में हर कोई सम्पूर्ण नहीं है, किसी ना किसी की कोई ना कोई कमजोरी जरूर होती है। कुछ इस कमजोरी से हार जाते हैं तो कुछ अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना लेते हैं। ऐसा ही एक शख्स है करनाल के घोग्डीपुर का दीपक। जो ना ही कुछ बोल सकता है और ना ही कुछ सुन सकता है। लेकिन इसके बावजूद भी दीपक के हौंसले बुलंद है, जिंदगी से शिकवा करने की बजाए दीपक जिंदगी को खुलकर जीने की काबलियत रखता है। वह ना केवल खुलकर जीता है बल्कि अपने दम पर काम करके अपना पालन पोषण भी कर रहा है!