फसल खरीद ली मगर 2 महीने बाद भी किसानों के खाते में नहीं आए पैसे, 72 घंटों का है नियम

By  Arvind Kumar November 8th 2020 09:40 AM

अंबाला। (कृष्ण बाली) हरियाणा सरकार द्वारा भले ही केंद्र सरकार के दिशनिर्देशों के बाद धान की फसल की एमएसपी 1868 रुपये से बढ़ाकर 1888 रुपये कर दी हो। लेकिन सरकार द्वारा मंडियों से धान की खरीददारी करने के बाबजूद लगभग 2 महीने बीत जाने के बाद भी किसानों के खातों में उनकी रकम नहीं आई है।

Haryana Farmer Protest फसल खरीद ली मगर 2 महीने बाद भी किसानों के खाते में नहीं आए पैसे, 72 घंटों का है नियम

हालांकि सरकार द्वारा खरीदी गई फसल का भुगतान 72 घंटो के अंदर करने का नियम बनाया गया है। इस बारे जब डीएफएससी विभाग के सुपरिन्टेन्डेन्ट संजीव कुमार कुंडू से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि इस बार अंबाला में 64 लाख क्विंटल से अधिक धान की खरीददारी हुई है यानी 1211 करोड़ रुपये की खरीददारी डीएफएससी, हैफेड और हरियाणा वेयरहाउस कॉरपोरेशन द्वारा की गई है। जिसमें से 707 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों और आढ़तियों के खातों में किया जा चुका है और 505 करोड़ रुपयों का भुगतान होना अभी बाकी है।

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उन्होंने बताया कि इस बार ई- खरीद पोर्टल के अलावा हरियाणा वैलनेस सेन्टर पोर्टल (HWC) भी सरकार द्वारा बनाया गया है। जिसमें तकीनीकी परेशानियां आ रही है। जिसकी वजह से भुगतान करने में देरी हो रही है।

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educareतो दूसरी और फसल की रकम का भुगतान समय पर नहीं होने के चलते किसान शहजादपुर में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार द्वारा पैसे उनके खातों में नहीं आते वह त्योहार, अगली फसल का बीज और अन्य खर्चे कैसे करें। उन्हें बहुत परेशांनियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार तो त्योहारों के मौके पर भी उनके घरों में खुशी नहीं है। वह काली दीवाली मनाने को मजबूर हैं।

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वहीं आढ़तियों और मजदूरों ने भी सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि पहले तो नए नए कानून हमपर थोपे जाते हैं उसके बाद खरीदी गई फसल का भुगतान भी समय पर नहीं हो रहा। इससे बुरे दिन आज से पहले कभी नहीं देखे थे। दूसरी ओर मंडियो में मजदूरी का काम कर रहे प्रवासी मजदूरों ने भी सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि 2 महीने बीत जाने के बाद भी हमे हमारा मेहनताना नहीं मिला है। आढ़ती और किसानों के पास जाते हैं तो वह कहते हैं, अभी तक हमें सरकार से पैसे नहीं आये, आपको कहां से दें? ऐसे में हमारी हालत बद से बदत्तर होती जा रही है।

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