भारतीय रेलवे ने एक नए सुरक्षा सिस्टम 'कवच' की टेस्टिंग की है। ये एक ऐसा सिस्टम है, जिसके जरिए रेल हादसों को टाला जा सकता है। कवच सुरक्षा सिस्टम इस तरह से तैयार किया गया है कि अगर एक लोको इंजन के सामने दूसरा लोको आ जाए तो 380 मीटर की दूरी से कवच इंजन को तुरंत रोक देता है।
कवच की टेस्टिंग के लिए रेल मंत्री खासतौर पर सिकंदराबाद पहुंचे थे। अश्विनी वैष्णव इस सुरक्षा सिस्टम की टेस्टिंग के लिए खुद ट्रेन के इंजन में सवार हुए। टेस्टिंग के दौरान सामने से दूसरा इंजन सामने आया है और कवच ने इसे रोक दिया। रेलमंत्री ने इस टेस्टिंग के कई वीडियो ट्विटर के जरिए पोस्ट किए हैं।
सामने फाटक आने पर कवच ड्राइवर के बिना आप सीटी बजाना शुरू कर देता है। लूप-लाइन क्रॉसिंग को भी टेस्ट किया गया, जिसमें लूप-लाइन को पार करते समय कवच ऑटोमैटिक रूप से इंजन की स्पीट को घटाकर 30 किमी प्रति घंटे कर देता है। SPAD टेस्ट में देखा गया कि रेड सिग्नल सामने होने पर कवच इंजन को आगे बढ़ने नहीं दे रहा है। रियर-एंड टक्कर टेस्ट भी सफल रहा है। कवच ने सामने से दूसरे लोको के आने पर 380 मीटर पहले इंजन को रोक दिया।
खास बात ये है कि इस तकनीक को देश में तैयार किया गया है। बता दें कि साल 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत के तहत 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को ‘कवच’ के तहत लाने की योजना के बारे में ऐलान किया गया था।
इस डिजिटल सिस्टम के कारण मानवी त्रुटियों जैसे कि रेड सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन अपने आप रुक जायेगी। अधिकारियों ने कहा कि कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर आएगा, जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर करीब दो करोड़ रुपये है।
कवच’ सिस्टम में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का इस्तेमाल किया जाता है। अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल -4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है। इसके तहत पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जायेंगी। कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए तैयार किया गया है।