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गेहूं, जौ, चने की MSP में नाममात्र 2% की बढ़ोत्तरी किसानों के साथ मजाक: हुड्डा

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Arvind Kumar
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गेहूं, जौ, चने की MSP में नाममात्र 2% की बढ़ोत्तरी किसानों के साथ मजाक: हुड्डा
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चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गेहूं, जौ, चने की एमएसपी में मात्र लगभग दो से ढाई प्रतिशत की बढ़ोत्तरी को नाकाफी बताते हुए, किसानों के साथ मजाक करार दिया है। उन्होंने कहा कि किसान की फसल की लागत बहुत बढ़ गई है, आज पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसके अलावा लेबर, खाद, बीज, दवाई और बाकी रोजमर्रा की चीज़ों के दाम भी रिकॉर्ड ऊंचाई के स्तर पर हैं। एक तरफ सरकार 2022 तक किसानों की आय डबल करने का वादा करती है और दूसरी तरफ उसे पिछले साल सिर्फ ढाई फीसदी और इस साल घटाकर नाममात्र सिर्फ 2 फीसदी की रेट बढ़ोत्तरी का झुनझुना थमा दिया। publive-image हुड्डा ने याद दिलाया कि यूपीए सरकार के दौरान गेहूं के रेट में हर साल औसतन 9-10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती थी। बावजूद इसके आज से 7 साल पहले गेहूं का रेट 2100 रुपये करने की मांग को लेकर हरियाणा बीजेपी के नेता अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करते थे। लेकिन इतने साल बाद भी सरकार गेहूं का रेट 2100 रुपये नहीं कर पाई। इसलिए सरकार को अपने वादे के मुताबिक बढ़ती महंगाई और खेती की लागत को ध्यान में रखते हुए सी2 फार्मूले के तहत एमएसपी देनी चाहिए।
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publive-imageयह भी पढ़ें- राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव सहित कई किसान नेता हिरासत में, किसानों के दबाव के बाद छोड़ा यह भी पढ़ें- जेपी दलाल का चढूनी पर बड़ा आरोप, कहा- कांग्रेस से पैसा लेकर हरियाणा में फैलाई जा रही अराजकता
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publive-imageपत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए हुए हुड्डा ने करनाल में धरनारत किसानों की मांगों का समर्थन किया। उनका कहना है कि किसानों पर लाठीचार्ज और उनका सिर फोड़ने का आदेश देने वालों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। 28 अगस्त को करनाल में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर की गई बर्बर कार्रवाई गैरकानूनी, अलोकतांत्रिक और अमानवीय थी। publive-image प्रतिपक्ष लगातार सरकार से पूरे मामले की हाईकोर्ट के सीटिंग या रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच करवाने की मांग कर रहा है। इस मांग को लेकर कांग्रेस ने राज्यपाल से भी मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। अगर गठबंधन सरकार हमारी इस मांग को मान लेती तो आज यह नौबत नहीं आती। ना इतनी बड़ी तादाद में किसानों को सड़कों पर आना पड़ता और ना ही सरकार को इसका बहाना बनाकर आम जनता की इंटरनेट आदि सेवाएं बंद करनी पड़ती। publive-imageभूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दोहराया कि करीब 10 महीने से आंदोलन कर रहे किसानों की मांगे पूरी तरह जायज हैं और वो अन्नदाता की मांगो का पूर्ण समर्थन करते हैं। किसान आजाद भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन चला रहे हैं। सरकार को राजधर्म निभाते हुए एक बार फिर आंदोलनकारियों से संवाद स्थापित करना चाहिए। लोकतंत्र में संवाद से ही हर समस्या का समाधान संभव है।-
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