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कुनो नेशनल पार्क में चीतों को चीतल-हिरण परोसने पर विवाद, बिश्नोई समाज ने जताई नाराजगी...पीएम को लिखी चिट्ठी

Written by  Vinod Kumar -- September 19th 2022 03:14 PM
कुनो नेशनल पार्क में चीतों को चीतल-हिरण परोसने पर विवाद, बिश्नोई समाज ने जताई नाराजगी...पीएम को लिखी चिट्ठी

कुनो नेशनल पार्क में चीतों को चीतल-हिरण परोसने पर विवाद, बिश्नोई समाज ने जताई नाराजगी...पीएम को लिखी चिट्ठी

भारत में नमीबिया से लाए गए चीतों पर विवाद उत्पन्न हो गया है। विवाद है इन चीतों के लिए भोजन बनाए जाने के लिए चीतल और हिरणों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ने पर। जीवों की रक्षा के लिए सदैव आगे रहने वाले बिश्नोई समाज में इस फैसले के खिलाफ रोष फैल गया है। हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए कुलदीप बिश्नोई ने इस फैसले की निंदा की है। साथ ही केंद्र सरकार से तुरंत इस पर रोक लगाने की मांग की है। कुलदीप बिश्नोई ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा चीतों के भोजन के लिए चीतल और हिरण भेजने की सूचनाएं आ रही हैं, जो अति निंदनीय है। मेरा केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि राजस्थान में विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे हिरणों की प्रजाति और बिश्नोई समाज की भावनाओं को देखते हुए इस मामले की जांच करवाई जाए और अगर ऐसा है तो तुरंत इस पर रोक लगाई जाए।

बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में पत्र लिखकर नाराजगी जताई है। बिश्नोई समाज पत्र में उन्होंने लिखा है कि हाल ही में नमीबिया से लाए गए चीतों के भोजन के लिए चीतल और हिरण को छोड़ा गया है इससे बिश्नाई समाज की भावनाएं बहुत आहत हुई हैं। वहीं, इसी मामले को लेकर आज बिश्नोई समाज के लोगों ने लघु सचिवालय के बाहर धरना दिया। हिरण बचाओ की तख्ती लगाकर लोग धरने पर बैठे हैं। लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बाहर से चीते मंगवाकर जंगल में छोड़े गए, लेकिन अब उनका भोजन बनाने के लिए चीतल और हिरणों को जंगल में छोडऩे की खबरें आ रही हैं, इससे सरकार को बचना चाहिए और फैसला वापस लेना चाहिए, क्योंकि इससे हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित देशभर में रहने वाले जीव प्रेमी और बिश्नोई समाज के लोगों को आघात पहुंचा है। बिश्नोई समाज के लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री भी अच्छी तरह जानते हैं कि बिश्नोई समाज के लोग जीव रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं, इसलिए अब लोग विरोध में हैं। सरकार के साथ जुड़े समाज के लोग जो सभा के प्रधान या संरक्षक हैं, उन्हें जल्द ही मीटिंग बुलाकर संज्ञान लेना चाहिए और यह सब बंद करवाना चाहिए, ताकि समाज आहत न हो और बात आगे न बढ़े, बात आगे बढ़ी तो आगे तक जाएगी। भाजपा सरकार में समाज के लोग विचार करें और टवीट करने से कुछ नहीं होगा, कठोर फैसला लें।

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