हुड्डा का सरकार पर निशाना, कहा: सदन में नहीं सुनी गई विपक्ष की बात
चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सत्र के दौरान विधानसभा में सरकार ने विपक्ष के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दिया। विपक्ष के सवालों से सरकार भागती हुई नजर आई। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से भर्ती घोटाले, बेरोजगारी, खाद की किल्लत, एमएसपी की गारंटी, फसल रजिस्ट्रेशन, जलभराव, सड़कों की जर्जर हालत, महंगाई, नंबरदारों की नियुक्ति, ओबीसी आरक्षण से छेड़छाड़, कोरोना को लेकर तैयारी और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी समेत अलग-अलग मुद्दों पर 17 स्थगन और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए गए थे, लेकिन इनमें से सिर्फ 5 को ही मंजूर किया गया। सरकार से प्रश्नकाल के दौरान जनहित से जुड़े दर्जनों सवाल भी पूछे गए, लेकिन ज्यादातर प्रस्तावों और सवालों पर सरकार की तरफ से जनता को गुमराह करने वाला जवाब दिया गया। जिस तरह बीजेपी-जेजेपी सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है, उसी तरह इसका विधानसभा सत्र भी विफल रहा है। [caption id="attachment_560765" align="alignnone" width="300"] भूपेंद्र सिंह हुड्डा[/caption] हुड्डा ने कहा कि आज जनता जिन परेशानियों का सामना कर रही है, उसके प्रमाण सार्वजनिक हैं, लेकिन, सरकार सदन में इस तरह पेश आई मानो ना प्रदेश में कोई भर्ती घोटाला हो रहा है, ना युवा बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं, ना किसानों के लिए यूरिया की कोई कमी है, ना डीएपी की कोई किल्लत, ना कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों को हॉस्पिटल बेड की कमी पेश आई, ना ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत हुई। [caption id="attachment_560708" align="alignnone" width="300"] फाइल फोटो[/caption] नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीएसी की मीटिंग में स्पीकर ने आश्वासन दिया था कि जरूरत पड़ने पर सत्र की अवधि को और बढ़ा दिया जाएगा, लेकिन अब ऐसा करने से इंकार किया जा रहा है। भर्ती घोटाले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में सीबीआई से करवाने, एमएसीपी की गारंटी का प्रस्ताव पास करके केंद्र सरकार को भेजने, शराब, रजिस्ट्री और धान खरीद घोटाले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने जैसी विपक्ष की तमाम मांगों को सरकार द्वारा नहीं माना गया। [caption id="attachment_560457" align="alignnone" width="300"] फाइल फोटो[/caption] हुड्डा ने कहा कि सरकार बुजुर्गों की पेंशन और पिछड़े वर्ग के आरक्षण के साथ छेड़छाड़ कर रही है। विपक्ष की तरफ से इस पर कड़ी आपत्ति जताई गई, लेकिन सरकार ने उसे अनदेखा कर दिया। पेंशन व आरक्षण जैसे मानदंडों में कोई भी फेरबदल करने से पहले सरकार को संबंधित वर्गों से बातचीत करनी चाहिए। उनसे संवाद किए बिना एकतरफा फैसला लेना न्यायसंगत नहीं है।