जून में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा 'फास्टैग' कलेक्शन
नई दिल्ली। जैसे-जैसे कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर देश भर में कम हो रहा है, देश में आर्थिक गतिविधियां वापस से लय पकड़ने लगी हैं। लॉकडाउन में ढील और राजमार्गों पर यातायात की आवाजाही में वृद्धि होने के साथ, फास्टैग (Fastag) के जरिए होने वाला टोल संग्रह रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है।
आपको बता दें, फास्टैग के जरिए इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह देशभर में 780 सक्रिय टोल प्लाजा पर संचालित हो रहा है। जून 2021 में टोल संग्रह बढ़कर 2,576.28 करोड़ रुपये हो गया, जो कि मई 2021 में वसूले गए 2,125.16 करोड़ रुपये से लगभग 21 प्रतिशत अधिक है।
लगभग 3.48 करोड़ उपयोगकर्ताओं के साथ, देशभर में फास्टैग का इस्तेमाल करीब 96 प्रतिशत तक हो रहा है और कई टोल प्लाजा पर इसका इस्तेमाल 99% तक होता है। एक अनुमान के मुताबिक, फास्टैग प्रतिवर्ष ईंधन पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये की बचत करेगा, जिससे कीमती विदेशी मुद्रा की बचत के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण मे भी मदद होगी। राजमार्ग का उपयोग करने वालों द्वारा फास्टैग अपनाने से और इसकी निरंतर वृद्धि से सभी राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा पर प्रतीक्षा समय में काफी कमी आई है।
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मई के महीने में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल कलेक्शन में गिरावट आई थी। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) पर टोल संग्रह मई के महीने 25-30 फीसदी गिरने की आशंका जताई थी। मार्च के मुकाबले अप्रैल महीने में भी टोल कलेक्शन में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इसके पीछे की वजह कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए लगे लॉकडाउन को बताया गया, जिसकी वजह से आवाजाही बड़े स्तर पर प्रभावित हुई थी। अब जब लॉकडाउन हटाया जा रहा है, तो एक बार फिर से आवाजाही में बढ़ोतरी हुई है।
उल्लेखनीय है कि देश के सभी नेशनल हाइवे पर टोल 15 फरवरी से कैशलेस हो गए हैं। वाहनों पर फास्टैग अनिवार्य है। फास्टैग एक स्टीकर है, जो आपकी गाड़ी के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है। वाहन चालक, जब किसी भी नेशनल हाइवे पर यात्रा के दौरान टोल से गुजरते हैं तो वहां पर लगे स्कैनर गाड़ी पर लगे स्टीकर को डिवाइस रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक के जरिए स्कैन कर लेते हैं। दूरी के हिसाब से पैसे काट लिए जाते हैं। फास्टैग को रिचार्ज करना पड़ता इसकी वजह से वाहन को टोल पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसकी वजह से टोल पर वेटिंग टाइम में भी कमी दर्जी की गई है।