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हरियाणा सहित इन राज्यों में बीमा धारक किसानों की संख्या में आई भारी गिरावट

संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि प्रमुख कृषि बीमा योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमित क्षेत्र पिछले दो वर्षों में कम हो गया है।

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Shivesh jha -- March 15th 2023 01:25 PM
हरियाणा सहित इन राज्यों में बीमा धारक किसानों की संख्या में आई भारी गिरावट

हरियाणा सहित इन राज्यों में बीमा धारक किसानों की संख्या में आई भारी गिरावट

संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि प्रमुख कृषि बीमा योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमित क्षेत्र पिछले दो वर्षों में कम हो गया है। आंकड़े बताते हैं कि बीमित क्षेत्र 2020-21 के 495 लाख हेक्टेयर से घटकर 2021-22 में 459 लाख हेक्टेयर रह गया है।

जिन प्रमुख राज्यों में बीमित क्षेत्र घटा है उनमे असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी गिरावट (13.23 लाख हेक्टेयर) देखी गई है, इसके बाद राजस्थान (6.82 लाख हेक्टेयर) और असम (4.68 लाख हेक्टेयर) का स्थान आता है।


उन्होंने कहा कि केवल तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में बीमित क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना 2016 में शुरू की गई थी ताकि किसानों को बुआई से पहले से लेकर कटाई के बाद के चरण तक गैर-निवारणीय प्राकृतिक जोखिमों के खिलाफ सस्ती फसल बीमा प्रदान किया जा सके।

पीएमएफबीवाई के तहत किसान बीमित राशि का 2% तक खरीफ फसलों के लिए, 1.5% रबी फसलों के लिए और 5% बागवानी फसलों के लिए प्रीमियम का भुगतान करते हैं। राज्य और केंद्र सरकार प्रीमियम बोझ को समान रूप से साझा करते हैं।

अध्ययन से पता चलता है कि 2018 और 2022 के बीच योजना के तहत कवर किए गए किसानों की संख्या में 9% की कमी आई और बीमित राशि तथा क्षेत्र में क्रमशः 7% और 5% की कमी आई। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीमित किसानों की संख्या भी या तो स्थिर हो जाती है या कम हो जाती है जिसका मूल कारण बिमा दावों के निपटान में देरी है।

दावा निपटान में देरी के अलावा, सब्सिडी के राज्य के हिस्से को जारी करने में देरी और राज्यों द्वारा बीमा कंपनियों को उपज डेटा साझा करने में देरी बीमा कंपनियों को हतोत्साहित करती है। अधिकारी ने कहा योजना के तहत करीब 18 बीमा कंपनियां पैनलबद्ध थीं, लेकिन बाद में उनमें से आठ को 2020 तक छोड़ दिया गया।

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