हरियाणा के करनाल जिले के जुंडला में एक किराए के कारखाने में खुले मैदानों में रखा लगभग 30,000 क्विंटल गेहूं सड़ गया है। गेहूं की खरीद हरियाणा खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग हरियाणा द्वारा 2020-21 रबी विपणन सीजन में की गई थी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरण के लिए करनाल में संग्रहीत की गई थी।
सड़े हुए गेहूं की अनुमानित लागत लगभग 5.92 करोड़ रुपये है क्योंकि इसे 1,975 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था। वहीं खुले बाजार में गेहूं की कीमत तीन हजार रुपये के करीब पहुंच गई है।
जानकारी के अनुसार भारतीय खाद्य निगम मार्च 2022 में ही इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए गैर-जारी करने योग्य घोषित कर चुका है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने सड़े हुए गेहूं की नीलामी के लिए सरकार को पत्र लिखा है। अधिकारियों बताया कि उठाव में देरी और बारिश से अनाज को नुकसान हुआ है।
करनाल जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक अनिल कालरा ने पुष्टि की कि खराब गेहूं की खरीद 2020-21 में की गई थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्टॉक की नीलामी के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा था, नीलामी के बाद हुए नुकसान का आकलन कर संबंधित अधिकारियों द्वारा जवाबदेही तय की जाएगी।
जुंडला एफसीआई प्रबंधक परमजीत सिंह ने कहा कि आवश्यक मानदंडों को पूरा करने में विफल रहने के बाद एफसीआई और डीएफएससी की एक संयुक्त टीम ने पहले ही मार्च 2022 में गेहूं को गैर-जारी करने योग्य घोषित कर दिया था।
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