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History Of Indian Budget : जानिए क्या है इंडियन बजट का इतिहास, कब-कब क्या हुए परिवर्तन

क्या आप भारतीय बजट का इतिहास जानते हैं। आज हम इस लेख में भारतीय बजट का इतिहास पढ़ेंगे।भारत पर अंग्रेजों ने जबरन कब्जा किया था। 19वीं सदी के छठे दशक यानि कि 7 अप्रैल, 1860 को स्कॉटिश अर्थशास्त्री और ईस्ट इंडिया कंपनी के राजनेता जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश क्राउन की तरफ से भारत का पहला बजट पेश किया। इसके बाद इस बजट में कई परिवर्तन हुए हैं।

Written by  Vinod Kumar -- January 29th 2023 04:13 PM
History Of Indian Budget : जानिए क्या है इंडियन बजट का इतिहास, कब-कब क्या हुए परिवर्तन

History Of Indian Budget : जानिए क्या है इंडियन बजट का इतिहास, कब-कब क्या हुए परिवर्तन

History Of Indian Budget : 1  फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman)  2023  का बजट (Budget 2023) पेश करेंगी। मोदी सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश करेगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट है। ऐसे में आम आदमी से लेकर बड़े व्यवसायियों को भी इस बजट से बहुत उम्‍मीदें हैं। जनता को खुश करने के लिए केंद्र सरकार कई लोकलुभावनी घोषणाएं कर सकती है। बजट कैसा होगा ये तो बजट-डे पर ही पता चलेगा, लेकिन क्या आप भारतीय बजट का इतिहास जानते हैं। आज हम इस लेख में भारतीय बजट का इतिहास पढ़ेंगे।

भारत पर अंग्रेजों ने जबरन कब्जा किया था। 19वीं सदी के छठे दशक यानि कि 7 अप्रैल, 1860 को स्कॉटिश अर्थशास्त्री और ईस्ट इंडिया कंपनी के राजनेता जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश क्राउन की तरफ से भारत का पहला बजट पेश किया। पहले ब्रिटिश भारत के बजट के दौरान इसके निर्माताओं ने आय के स्रोत के चार घटकों का लेखा-जोखा पेश किया था। इसमें उन्होंने संपत्ति, पेशे या व्यवसाय, प्रतिभूतियों, वेतन और पेंशन आय से प्राप्त राजस्व को शामिल किया था। उस समय टैक्स के केवल दो ही स्लैब थे।


15 अगस्त 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। 26 नवम्बर 1947 को कार्यकारी सरकार में वित्त मंत्री आके शणमुखम शेट्टी ने आजाद भारत का पहला बजट पेश किया था। देश के पहले बजट में खर्च का अनुमान 197.29 करोड़ रुपए था, जबकि 171.15 करोड़ रुपए की आमदनी का अनुमान था। राजकोषीय घाटा 26.24 करोड़ रुपए के करीब था। 

ब्रिटिश काल में केंद्रीय बजट शाम पांच बजे पेश किया जाता था, क्योंकि उस समय इंग्लैंड में दिन के 11:30 बजे का समय होता है। यह बजट फरवरी के आखिरी दिन को पेश किया जाता था। आजादी के बाद भी ये परंपरा 1999 तक जारी रही। 1999 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इसका समय बदलकर सुबह के 11 बजे कर दिया। वहीं, फरवरी महीने के अंतिम कार्य दिवस पर केंद्रीय बजट पेश करने की औपनिवेशिक परंपरा के विपरीत अरुण जेटली ने 1 फरवरी 2017 को बजट पेश करना शुरू किया था. 

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 92 साल पुरानी प्रथा को खत्म करते हुए साल 2017 से रेलवे बजट की घोषणाएं भी आम बजट में ही करना शुरू कर दिया था। इससे पहले रेल मंत्री आम बजट से एक दिन पहले रेल बजट संसद में पेश करते थे। भारत का पहला रेल बजट ब्रिटिश शासन के समय 1924 में प्रस्तुत किया गया था।

कोविड-19 महामारी आने के बाद पेपरलेस बजट की शुरुआत हुई. वर्ष 2021-22 का बजट पहली बार कागज-रहित पेश किया गया था।

देश में सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है। मोरारजी देसाई ने आठ सालाना बजट और दो अंतरिम बजट पेश किए हैं। मोरारजी देसाई ने अपने जन्मदिन (29 फरवरी) के दिन दो बार बजट पेश किया था। इनके बाद पी चिदंबरम, प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, मनमोहन सिंह ने सर्वाधिक बार बजट पेश किया है।

 


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