जींद उपचुनाव के नतीजों का हरियाणा की राजनीति पर इंपैक्ट
चंडीगढ़। जींद उपचुनाव के नतीजे हरियाणा के राजनैतिक भविष्य के लिए कई संकेत दे जाएंगे। ये पहला ऐसा उपचुनाव है जिसमें सभी दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस चुनाव में एक ओर जहां बीजेपी की साख दांव पर है, वहीं जेजेपी पर अपना खाता खोलने का दबाव है। उधर कांग्रेस भी इस सीट को जीतकर आगामी चुनावों के लिए अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश में है और इनेलो उमेद रेढू के जरिए अपना प्रभुत्व कायम रखना चाहती है। यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस उपचुनाव के कुछ महीने बाद ही लोकसभा और हरियाणा विधानसभा के चुनाव होने हैं। लिहाजा यह उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए अग्निपरीक्षा के समान है। जिस दल ने इस परीक्षा को पास कर लिया समझो उसका आगे का रास्ता आसान हो गया। इसी के चलते इस उपचुनाव के नतीजे पर पूरे हरियाणा की नजरें टिकी हैं। यह भी पढ़ें : जींद उपचुनाव : 31 को होगी काउंटिंग, स्ट्रांग रूम के बाहर जेजेपी के ‘सिपाही’ तैनात चुनाव में हर राजनीतिक दल कर रहा अपनी जीत का दावा कर रहा हालांकि उपचुनाव में हर राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहा है। लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि जींद में किस पार्टी का उम्मीदवार जीतेगा। इस उपचुनाव में 21 उम्मीदवार मैदान में हैं। इन उम्मीदवारों में से सबसे कड़ा मुकाबला बीजेपी के कृष्ण मिड्ढा, कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला, जेजेपी समर्थित दिग्विजय चौटाला और इनेलो के उमेद रेडू के बीच ही है। सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के प्रत्याशी विनोद आश्री भी बीच-बीच में अपनी चर्चा का विषय बन रहे हैं।
जींद कभी इनेलो व कांग्रेस का गढ़ रहा है। इनेलो अब दो फाड़ हो चुकी, जबकि कांग्रेस ने पूरी जिम्मेदारी से यह चुनाव लड़ा। वहीं जेजेपी ने भी इस चुनाव में खूब पसीना बहाया है। उधर बीजेपी ने भी इस सीट पर जीत के लिए खूब दांव पेच चले हैं। खैर इस उपचुनाव का नतीजा जो भी रहे लेकिन उसका सूबे की सियासत में संदेश जाना तय है। अब देखना होगा कि जनता जींद की कमान किसके हाथ में सौंपती है।