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कुवैत की पॉलिसी से प्रवासियों की नौकरियों पर संकट, भारतीयों पर भी होगा इसका असर

Written by  Vinod Kumar -- February 10th 2022 01:35 PM
कुवैत की पॉलिसी से प्रवासियों की नौकरियों पर संकट, भारतीयों पर भी होगा इसका असर

कुवैत की पॉलिसी से प्रवासियों की नौकरियों पर संकट, भारतीयों पर भी होगा इसका असर

अगर आप भी खाड़ी देश कुवैत में नौकरी का सपना देख रहे हैं तो आपको झटका लग सकता है। कुवैत सरकार ने प्रवासियों के लिए नियम सख्त कर दिए हैं। कुवैत सरकार विदेशी प्रवासियों को झटका दिया है। कुवैत ने अपने सरकारी क्षेत्र की नौकरियों से विदेशी कर्मचारियों को हटाकर कुवैती नागरिकों को देने का फैसला किया है। सरकार की ये योजना अगस्त तक पूरी हो जाएगी। सरकारी संस्थानों में शिक्षकों, डॉक्टरों और सेवा क्षेत्र की नौकरियों को छोड़कर बाकी सभी सरकारी क्षेत्रों से विदेशियों को निकाला जा रहा है। कुवैत में 75 फीसदी आबादी प्रवासियों की है, जिसमें भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है. अरब न्यूज ने स्थानीय अखबार, अल अंबा का हवाला देते हुए देश की रोजगार एजेंसी सिविल सेवा आयोग ने कहा है कि प्रवासियों को सरकारी नौकरियों से हटाने का काम अगस्त तक पूरा कर लिया जाएगा। सितंबर 2017 में, आयोग ने विभिन्न सरकारी एजेंसियों को गैर-कुवैती कर्मचारियों की संख्या को धीरे-धीरे कम करने और नागरिकों के रोजगार देने का आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि पांच वर्षों में सरकारी नौकरियों का 'कुवैतीकरण' किया जाना है। साल 2020 में कुवैत में एक कानून बनाते हुए देश में प्रवासियों की संख्या को 30 फीसदी तक लाने का निर्णय किया था। इस कानून की वजह से कई भारतीय प्रवासियों को नौकरी छोड़नी पड़ रही है। कुवैत की कुल आबादी 46 लाख है जिसमें लगभग 35 लाख विदेशी हैं। साल 2020 के आंकड़े के मुताबिक, कुवैत में 10 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं जो निजी क्षेत्रों के अलावा सरकारी नौकरियों में लगे हैं। बता दें कि हाल के महीनों में खाड़ी देश में COVID-19 के कारण आर्थिक गिरावट के बीच विदेशियों के रोजगार को सीमित करने की मांग को लेकर आवाजें उठने लगी हैं। सरकार भी विदेशियों को लेकर सख्त कदम उठा रही है। इसी बीच कुवैत में अवैध रूप से रहने वाले विदेशियों को लेकर छापेमारी भी तेज हो गई है। कुवैत के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में विभिन्न मामलों में कुवैत से लगभग 18 हजार विदेशियों को उनके देश वापस भेज दिया गया था। साल 2018 में भी कुवैत ने प्रवासियों को लेकर नियमों में बदलाव किया था जिसके बाद सैकड़ों भारतीय इंजिनियरों को अपनी नौकरी से हाथ धोकर स्वदेश लौटना पड़ा था। सरकार के हालिया निर्णय का असर कुवैत में रहने वाले भारतीयों की रोजी-रोटी पर पड़ रहा है। कुवैत सरकार के नए फैसलों से कई भारतीय बेरोजगार हो चुके हैं और कुछ होने की कगार पर हैं।  


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