फेमिना मिस ग्रेंड इंडिया मनिका श्योकंद बनी ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ की ब्रांड अंबेसडर
फेमिना मिस ग्रेंड इंडिया मनिका श्योकंद बनी ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ की ब्रांड अंबेसडर[/caption]
हरियाणा की बेटियों की उपलब्धियां
प्रदेश की बेटियों की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मनिका श्योकंद पिछले 6 साल में प्रदेश की तीसरी बेटी हैं, जिन्होंने सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में प्रदेश का नाम रोशन किया है। इससे पहले, मानुषी छिल्लर और मीनाक्षी ने भी इसी तरह की सौन्दर्य प्रतियोगिता में बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की हैं। मानुषी छिल्लर तो वर्ष 2017 में विश्व सुन्दरी बनी, जबकि मीनाक्षी वर्ष 2018 में रनरअप रही। उन्होंने कहा कि खेलों में तो प्रदेश की बेटियों ने पदकों की झड़ी लगाकर अपने दमखम का लोहा मनवाया है। इस समय टोकियो ओलम्पिक की तैयारी के लिए कैम्प चल रहा है। उसमें चयनित देश की 37 महिला बॉक्सर में से 22 हरियाणा की हैं।
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फेमिना मिस ग्रेंड इंडिया मनिका श्योकंद बनी ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ की ब्रांड अंबेसडर[/caption]
पर्यावरण संरक्षण की ब्राण्ड अम्बेसडर
इस अवसर पर मनिका श्योकंद ने मुख्यमंत्री से बातचीत करते हुए भविष्य में पर्यावरण संरक्षण पर काम करने का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए न केवल जल, वायु और मिट्टी का बचाना जरूरी है, बल्कि उपयोग किये गये उत्पादों का सही से निपटान करना भी जरूरी है। विशेषकर, सैनेटरी पैड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसको बनाने में प्लास्टिक की अपेक्षा बॉयोडिग्रेडेबल सामग्री जैसे कि कॉटन, बांस, केला, जूट आदि का उपयोग किया जाना चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री ने उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे इस बारे उद्यमियों से विचार-विमर्श कर कारगर कदम उठाएं।
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फेमिना मिस ग्रेंड इंडिया मनिका श्योकंद बनी ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ की ब्रांड अंबेसडर[/caption]
जल को बचाने की बड़ी जरूरत मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में भूजल स्तर की गिरावट को देखते हुए जल को बचाने की बड़ी जरूरत है। यह न केवल आम आदमी के जीवन की समस्या है, बल्कि प्रदेश में किसानों और कृषि की जीवन रेखा है। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से हमने ‘मेरा पानी- मेरी विरासत योजना’ शुरू की है। इसमें धान के स्थान पर कम पानी से उगने वाली फसलें बोने पर किसान को प्रति एकड़ 7 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि खरीफ-2020 में 97 हजार एकड़ भूमि पर धान की जगह अन्य फसलें बोई गईं और इस कारण इस बार धान उत्पादन भी कम हुआ है।